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LCA तेजस अब सेकेंडों में करेगा वार , Brahmos Missile के इस नए वर्जन से होगा लैस, देखिये

रक्षा क्षेत्र  में आत्मनिर्भरता बढ़ाने के क्रम में एक और कदम आगे बढ़ाया जा रहा है। ब्रह्मोस एयरोस्पेस अपनी नेक्स्ट जेनेरेशन एयर ब्रह्मोस मिसाइल की टेस्टिंग करने जा रहा है। मिसाइल के इस नए संस्करण को ब्रह्मोस-NG नाम दिया गया है। यह नया संस्करण पुराने की अपेक्षा में और अधिक हल्का और छोटा होने जा रहा है।

ब्रह्मोस एयरोस्पेस के CEO और प्रबंध निदेशक, अतुल दिनकर राणे ने TASS को बताया कि टेस्टिंग 2024 के अंत में शुरू होने की उम्मीद है। दिनकर राणे ने कहा कि मिसाइल के नवीनतम संस्करण को पुराने के मुताबिक छोटा और हल्का बनाने के लिए काम चल रहा है।दिनकर ने आगे बताया कि ब्रह्मोस-NG सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल के बेसिक संस्करण के “आधे वजन” का होगा। राणे ने TASS को बताया, “हम अभी उस पर काम कर रहे हैं। हम अगले साल के अंत तक इसकी टेस्टिंग शुरू कर देंगे। उन्होंने आगे कहा कि ब्रह्मोस एयरोस्पेस अगले दो सालों में अपने डिजाइन और क्षमताओं को अंतिम रूप देने के साथ मिसाइल को पेश करने जा रहा है। इसके साथ ही राणे ने कहा कि ‘शायद एक साल’ में इसका प्रोडक्शन भी शुरू हो सकता है। हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) की ओर से डेवलप, लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (LCA) तेजस भारतीय वायु सेना का एक भारतीय मल्टीरोल लड़ाकू विमान है, जिसमें उच्च प्रदर्शन, एडवांस एविओनिक्स, स्टील्थ फीचर्स और विजुअल रेंज (BVR) से लेकर कई अहम विशेषताएं हैं। कहा जा रहा है कि ब्रह्मोस-NG को LCA तेजस के लिए मुख्य रूप से बनाया जा रहा है। तेजस को ब्रह्मोस-NG से लैस करने से एयरक्राफ्ट की अटैकिंग पावर में और बढ़ोत्तरी हो जाएगी। इसके बाद से यह एयरक्राफ्ट वायु सेना के लिए एक और घातक हथियार बन जाएगा।
LCA तेजस में ब्रह्मोस-NG को लगाने के बाद यह एयरक्राफ्ट, जमीन और समुद्र में अपने लक्ष्यों को सटीक रूप से हिट करने में सक्षम हो जाएगा। इसके साथ ही 300 किमी से अधिक सीमा के साथ, ब्रह्मोस-NG LCA तेजस को दुश्मन के ठिकानों के खिलाफ स्टैंड-ऑफ हमले शुरू करने की क्षमता प्रदान करेगा, जिससे दुश्मन की एयर डिफेस में इसके लिए खतरा कम हो जाएगा। इस नए अपग्रेडेड संस्करण के तेजस में लाने से वायु सेना के ऑपरेशनल एक्टिविटी को और ताकत मिलेगी।
इस बीच, स्वदेशी रूप से विकसित तेजस के साथ ब्रह्मोस मिसाइल को लगाने से डिफेंस प्रोडक्शन में आत्मनिर्भरता हासिल करने की दिशा में देश के प्रयासों को बढ़ावा देगा।

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