महान स्वतंत्रता सेनानी राजकुमार बाघ का परिवार आज भी अपेक्षित !
महान स्वतंत्रता सेनानी राजकुमार बाघ का परिवार आज भी अपेक्षित !
महान स्वतंत्रता सेनानी राजकुमार बाघ का परिवार आज भी अपेक्षित !आजादी की लड़ाई में अभूतपूर्व भूमिका निभाने वाले अमर शहीद राजकुमार बाघ को उनकी पुण्यतिथि पर याद किया गया। इस अवसर , पूर्व विधायक गोरख पासवान ,पूर्व मंत्री नारद राय समेत जनपद के गणमान्य व्यक्तियों ने जिला कारागार स्थित अमर शहीद राजकुमार बाघ कि प्रतिमा पर पहुंचकर शहीद कि प्रतिमा पर पुष्प अर्पित कर श्रद्धांजलि दी गई।वहीं पूर्व मंत्री नारद राय ने स्वतंत्रता सेनानी शहीद राजकुमार की शहादत को याद करते हुए कहा, कि ऐसे बहादुर सेनानी विरले ही पैदा होते हैं ।राजकुमार बाघ ने अंग्रेजों के दांत खट्टे कर दिए थे।, भूमिगत रहकर भी उन्होंने आजादी की लड़ाई में जो भूमिका निभाई , ऐसी कोई मिसाल नहीं मिलती, इसी से परेशान होकर अंग्रेजों ने उन्हें गोली मार दिया।महान स्वतंत्रता संग्राम सेनानी राजकुमार बाघ का जन्म सिकंदरपुर विधानसभा क्षेत्र के सिसोटार में एक दलित परिवार में 18 90 में हुआ था। राजकुमार बाग के पिता का नाम अदालत था। पिता कृषि पशुपालन के साथ ही सिकंदरपुर के चौकीदार पद पर कार्यरत थे ।इसी दौरान अंग्रेजों द्वारा जनता के ऊपर जो जुल्म हो रहा था,शहीद राजकुमार उससे काफी आहत थे, बाद में शहीद बाघ ने पिता की मृत्यु के बाद पिता की जगह चौकीदार बन गए। इसी दौरान 1915 में कांग्रेस के सदस्य बने ,और गांधी जी के आंदोलन में कूद पड़े। आजादी कि लडाई के दौरान ही राजकुमार बाघ ने ,सिकंदरपुर थाने और ,बीज गोदाम को जलवानें में इनकी अहम भूमिका रही । इसी से गुस्साई अंग्रेजी हुकूमत ने क्रोध में आकर उनका घर जला दिया। और पूरे परिवार को गोली मारने का आदेश जारी कर दिया। राजकुमार बाग तब भूमिगत होकर अंग्रेजों के दांत खट्टे करते रहे ,और बाद में परेशान होकर ही अंग्रेजों ने राजकुमार को बाघ की उपाधि दी। बाद में 1943 में अंग्रेजी पुलिस ने उन्हें धोखे से गिरफ्तार कर लिया ,और 23 मार्च 1943 को जेल में ही उन्हें गोली मार कर शहीद कर दिया गया।