सिंगौरगढ़ किले की अनसुलझी पहेली, जहां रहस्य है बावड़ी में छिपा अकूत खजाना
रहस्यों से भरा सिंगौरगढ़ का किला, रानी दुर्गावती ने किया था किले में शासन

भारत में कई ऐसी जगह हैं जहां का इतिहास जानकर हर कोई हैरान रह जाता है…इन जगहों पर लोगों को कई रहस्यमयी बातें पता चलती हैं…जिन्हें जानने के लिए यहां दुनिया से लोग पहुंचते हैं…लेकिन क्या आप जानते हैं कि दुनिया में अब भी कई ऐसी जगहें मौजूद हैं जहां का रहस्य आज भी एक अनबूझ पहेली है…और इन्ही में से एक है सिंगौरगढ़ का किला…तो चलिए शुरू करते है और जानते हैं कि आखिर क्या है सिंगौरगढ़ के किले का वो रहस्य…जिसे जानने की जिसने भी कोशिश की उसका बुरा हाल हुआ…
जितना पुराना इस किले का इतिहास है, उतनी ही ये जगह आज भी रहस्यों से भरी हुई है…यहां पर एक ऐसा तालाब है जिसका पानी कभी नहीं सूखता, जिसमें बेशकीमती खजाना छिपा हुआ है…लेकिन इस खजाने को खोजने की तलाश करने वालों के साथ क्या रहस्यमयी हादसा हुआ ये आपको रौंगटे खड़े कर देगा…तो चलिए आपको इस सिंगौरगढ़ किले के बारे में खास बाते बताते हैं…
दरअसल मध्य प्रदेश के दमोह जिले में सिंगौरगढ़ का ये किला स्थित है…और ये गोड साम्राज्य का पहाड़ी किला है…इस किले को रानी दुर्गावती का विवाह स्थल भी कहा जाता है…साल 1564 में जब रानी दुर्गावती का शासनकाल था, तब मुगलों से युद्ध में इस किले की काफी अहम भूनिका रही थी…किले को इतनी मजबूती से बनाया गया था कि यहां की सुरक्षा को भेद पाना मुगलों के बस की बात नहीं थी…इसके पीचे दो वजह थीं…पहला इस किले के सामने पहाड़ सुरक्षा की दीवार बनकर खड़ा है, और दूसरा तहखानों से निकली सुरंग का अंतिम छोर रानी और उसकी सैनिक टुकड़ियों के अलावा किसी को नहीं पता था…
स्थानीय निवासियों के मुताबिक किले की दीवारों को अत्यधिक मजबूती के साथ बनाया गया था…प्राकृतिक व भौगोलिक पर्वत श्रृंखलाओं के बीच बने किले की सुरक्षा में पहाड़ सुरक्षा की दीवार बनकर खड़े थे…किले के तहखाने से निकली सुरंग का अंतिम छोर रानी व रानी की सैनिक टुकड़ियों को ही पता था…स्थानीय निवासियों के अनुसार उस समय पहाड़ियों पर सैनिकों के पैदल चलने के लिए 32 किलोमीटर की अलोनी दीवार बनाई गयी थी…इस रास्ते में सेंध लगाना किसी बाहरी सैन्य शक्ति के लिए नामुमकिन था…जबकि इस किले का संरक्षण करना पुरातत्व विभाग भूल गया…सिंगौरगढ़ किला अपने अस्तित्व को बचाने की लड़ाई 500 वर्षों से लड़ रहा है…
सिंगौरगढ़ जलाशय की प्राकृतिक सौंदर्यता भी देखते ही बनती है…इस सैकड़ों साल पुराने जलाशय में कभी पानी खत्म नहीं होता है…इसको लेकर मत है कि ये तालाब अपने अंदर कई रहस्यों को समेटे हुए है…बताया जाता है कि इस तालाब के अंदर एक बावड़ी बनी है जहां जहां पर स्वर्ण मुद्राओं का खजाना छुपा है…यहां पानी कभी ना खत्म होने की वजह ये है कि इस जलाशय के अंदर जाने के लाखों प्रयास असफल रहे हैं…और अब ये बावड़ी भूगर्भ में चली गयी है…
कहा जाता है कि जिस किसी ने बी यहां खजाने के लालच में खुदाई करने की कोशिश की उसके सात गलत हुआ…इतना ही नहीं कई लोग तो पागल तक हो गए…यहां के स्थानीय बुजुर्ग लोग मानते हैं कि सिंगौरगढ़ जलाशय में रानी दुर्गावती के शासनकाल की स्वर्ण मुद्राओं समेत रानी का पारस पत्थर भी इस जलाशय के अंदर जाल दिया गया था…स्थानीय लोग मानते है कि गोंड राजाओं के राजकाज के समय तहखाने गुप्त सुरंग मार्ग से सिंगौरगढ़ से सीधे मदन महल जबलपुर निकलता है…हालांकि इन्हें पुरातत्व विभाग ने बंद कर दिया है…लेकिन अब भी इसके अवशेष यहां पर मौजूद हैं…यही नहीं सैनिक टुकड़ियों के लिए किले की सुरक्षा के लिए 32 किलोमीटर की दीवार यानी की रास्ता आज भी सिंगौरगढ़ के किले से पर्वत श्रृंखलाओं तक पूरी तरह सुरक्षित बना हुआ है…
ऐसा कहा जाता है कि सिंगौरगढ़ तालाब के जल के अंदर अनेक रहस्य दफन हैं…आज तक इनकी खोज करने की हिम्मत कोई नहीं जुटा पाया है…स्थानीय निवासियों के अनुसार जलाशय से जुड़ी एक किदवंती है…इसके अनुसार रानी दुर्गावती के शासनकाल के वक्त में स्वर्ण मुद्राओं समेत उनका पारस पत्थर भी इसी जलाशय के अंदर डाल दिया गया था…फिलहाल आज के लिए बस इतना ही..आगे बी ऐसी ही रोचक कहानियों, किस्सों, रहस्यों पर से पर्दा उठाएंगे और आपके सामने हाजिर होंगे…तब तक के लिए हमें दें इजाजत और देखते रहें भारत ए टू जेड न्यूज़..