Kanpur Nagar

बेजुबानों के दर्द को मरहम लगाने का बीड़ा उठाया शहर के युवाओं ने,

बेजुबानों के दर्द को मरहम लगाने का बीड़ा उठाया शहर के युवाओं ने,

कानपुर : बेजुबानों के दर्द को मरहम लगाने का बीड़ा उठाया शहर के युवाओं ने, सड़क पर बेसहारा घूमने वाले बेजुबान जानवरों को भी दर्द होता है, जब उन्हें चोट लगाती है. मगर उनके चोट लगने से बहुत ही कम लोगों को उनके दर्द का एहसास होता है, क्योकि बेजुबान बोल नहीं सकते मगर समझते सब है. शहर में ऐसे ही घूमने वाले बेजुबानों के दर्द को मरहम लगाने का बीड़ा उठाया है टीम कानपुर फॉर वायसलेस से जुड़े युवाओं ने शहर के नवीन मार्किट में अपने हाथो में बैनर पोस्टर लेकर खड़े ये वो युवा है, जिन्होंने शहर के बेजुबानों के दर्द पर मरहम लगाने का बीड़ा उठाया है इन युवाओं को बेजुबान जानवरों के दर्द से फर्क पड़ता है, दरअसल शहर में असहाय उन बेजुबान जानवरों को सहारा देने का बीड़ा टीम कानपुर फॉर वायसलेस के सदस्यों ने उठाया जो चोट लगने, या भूख से तड़प कर अपनी जान गवां देते है शहर का ऐसा कोई इलाका नहीं जहां से एक ना एक युवा इस सस्था से जुड़े हो. और अब ये शहर में घूम घूम कर लोगों को बेजुबान जानवरों के प्रति जागरूकता लाने का काम कर रहे हैं शहर में बेजुबान जानवरों को सहारा देने का काम इस टीम के संयोजक गौरव बाजपेयी ने करीब पांच साल पहले शुरू किया था, तब वो अकेले ही इस काम को कर रहे थे.
मगर वक्त के साथ युवा इस संस्था से जुड़ते गए और इनका कांरवां बढ़ता गया गौरव ने बताया कि ये बेजुबान बोल नहीं सकते मगर जब इन्हें चोट लगाती है तो दर्द इन्हें भी होता है मगर ज्यादातर लोग असहाय बेजुबानों को सड़क पर तड़पता देख ये सोचकर छोड़ देते है कि ये तो जानवर है इससे हमें क्या मतलब बहरहाल बेजुबान जानवरों पर अमानवीय रवैया या क्रूरता की घटना को रोकने के लिए अब इस संस्था से जुड़े युवा काम कर रहे है.. अब इनके इस उदेश्य को शहर के नागरिक कितना समझेंगे ये तो लोगों पर निर्भर करता है मगर इन लोगो की लगन देखकर बहुत से शहरवासी भी इनकी इस मुहिम के साथ जुड़ने लगे है

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