
देवरिया: जिले में मिले 173 एमडीआर टीबी के मरीज देवरिया जिले में क्षय के इलाज में थोड़ी सी लापरवाही भारी पड़ सकती है। नियमित दवा न लेने से मरीज एमडीआर टीबी (मल्टी ड्रग रेजिस्टेंट ट्यूबरकुलोसिस) की श्रेणी में आ जाता है। जनपद में एक वर्ष में 173 एमडीआर टीबी के मरीज चिह्नित किए गए हैं। ऐसे मरीजों से बीमारी फैलने का खतरा है। इसके प्रति स्वास्थ्य विभाग गंभीर है और चिह्नित मरीजों का इलाज किया जा रहा है। साथ ही उन पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है।क्षय रोग के उन्मूलन के लिए सरकार ने 2025 लक्ष्य निर्धारित किया है। स्वास्थ्य विभाग अभियान चलाकर मरीजों को चिह्नित कर रहा है। इसके तहत जनवरी 2020 से 23 फरवरी 2021 तक 4417 मरीज चिह्नित किए गए। इसमें 173 मरीज एमडीआर श्रेणी में चले गए हैं।इनका इलाज चल रहा है, लेकिन इन मरीजों से बीमारी फैलने का खतरा बना रहता है। हालांकि सामान्य टीबी का इलाज कराना आसान है। क्षय रोग होने के बाद मरीज छह माह तक बराबर दवा ले तो उसे बीमारी से छुटकारा भी मिल सकता है, लेकिन एमडीआर टीबी की श्रेणी में आने के बाद मर्ज को ठीक करना आसान नहीं होता है।जिला कार्यक्रम समन्वयक देवेंद्र सिंह ने बताया कि क्षय रोग की सभी दवा जिला अस्पताल में उपलब्ध है। मरीजों का चयन कर उनका इलाज कराया जा रहा है। कुछ मरीज बीच में दवा बंद कर देते हैं, जिसकी वजह से समस्या हो रही है। जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ. बी झा ने बताया जनवरी 2020 से फरवरी 2021 तक अभियान चलाकर स्वास्थ्य विभाग ने टीबी से पीड़ित व्यक्तियों को खोजा। इसमें अधिकांश मरीज इलाज के बाद ठीक हो गए। दवा लेने में लापरवाही बरतने के कारण 173 मरीज एमडीआर श्रेणी में आ गए हैं। उनका इलाज चल रहा है।पहले एमडीआर टीबी की छह दवाएं दो साल तक चलाई जाती थीं। अब बेडाक्विलिन नामक सातवीं दवा जोड़ दी गई है। यह एक तरह की बैक्टीरियोसाइडल होती है, जो टीबी के बैक्टीरिया को बढ़ने से रोकती है। इस दवा को केवल शुरुआती पांच माह तक लेना होता है। इसके बाद दवा के कोर्स की अवधि दो साल से घटकर नौ महीने ही रह जाएगी।



