फर्जी पासपोर्ट के मामले में ढाई साल पहले गिरफ्तार हुआ युगांडा का कैदी सेबेन्या बेन कोर्ट के आदेश पर जिला कारागार से किया गया रिहा
फर्जी पासपोर्ट के मामले में ढाई साल पहले गिरफ्तार हुआ युगांडा का कैदी सेबेन्या बेन कोर्ट के आदेश पर जिला कारागार से किया गया रिहा

महराजगंज : फर्जी पासपोर्ट के मामले में ढाई साल पहले गिरफ्तार हुआ युगांडा का कैदी सेबेन्या बेन कोर्ट के आदेश पर जिला कारागार से किया गया रिहा भारत नेपाल के सोनौली सीमा से फर्जी पासपोर्ट के मामले में ढाई साल पहले गिरफ्तार हुआ युगांडा का कैदी सेबेन्या बेन कोर्ट के आदेश पर जिला कारागार से रिहा कर दिया गया । लेकिन उसकी रिहाई के पीछे जो कहानी है उसमें जेल प्रशासन की इंसानियत व कैदी के नेक आचरण व मेहनत भी शामिल है ।खास बात यह है कि कोर्ट ने युगांडा के कैदी पर तीन हजार रुपये का अर्थदंड भी लगाया था। अर्थदंड की यह धनराशि सेबेन्या बेन ने जेल के अंदर मजदूरी कर जुटाई थी। जेलर अरविंद श्रीवास्तव ने जेल में काम करने की बदौलत मिली पारिश्रमिक धनराशि से सेबेन्या बेन की अर्थदंड को चुकता कराया। इसके बाद कोर्ट के आदेश के मुताबिक सभी न्यायिक प्रक्रिया का पालन करते हुए उसको जेल से रिहा कर दिया गया। सेबेन्या बेन के पास वीजा व पासपोर्ट नहीं है इसीलिए उसे लेकर महराजगंज पुलिस दिल्ली रवाना हो गई। वहां उसे युगांडा के दूतावास में सुपुर्द किया जाएगा।
युगांडा का कैदी सेबेन्या बेन को सोनौली में 14 नवंबर 2018 को गिरफ्तार किया गया था। वह दिल्ली से नेपाल जाने के लिए सोनौली बार्डर पर पहुंचा था। नेपाल जाने के लिए वह अपना पासपोर्ट सोनौली के इमीग्रेशन आफिस में क्लीयरेंस के लिए दिया। पासपोर्ट व वीजा की जांच में यह पता चला कि पासपोर्ट सेबेन्या बेन का नहीं है बल्कि फर्जी था जिसके बाद उस पर 14 विदेशी अधिनियम के तहत मुकदमा दर्ज कर जेल भेज दिया गया । लेकिन जेल में विछिप्त जैसा व्यवहार करने लगा इस पर जेल प्रशासन ने उसका मानसिक चिकित्सालय वाराणसी में दो बार उपचार भी कराया । जेलर ने पहल करते हुए 24 घंटे उसे अच्छे कैदियों के बीच रखा जेल के अस्पताल में ही जेलर ने उसे बागवानी के काम पर लगाया उसकी काउंसलिंग की धीरे-धीरे उसका व्यवहार व आचरण सही हुआ । जिसके बाद जेलर ने उसके अच्छे आचरण के बारे में उच्चाधिकारियों को अवगत भी कराया