
ब्रिटिश हुकूमत दहल गई थी देवरिया के इस गांव से कई महिलाओं ने किया था जल जौहर
देवरिया का पैना गांव किसी पहचान का मोहताज नहीं है। सरयू नदी के तट पर बसे इस
गांव के वीर सपूत तोप के गोलों की परवाह किए बिना अंग्रेजों से लड़े थे, वहीं सौ से
अधिक महिलाओं ने उफनती हुई सरयू नदी में जल जौहर किया था।
यहां 395 महिला-पुरुष व बच्चे आजादी के यज्ञ की समिधा बने थे।
अपनी तरह के इस पहले बलिदान को इतिहास ने जगह नहीं दी तो
आजादी के बाद भी इसे पहचान दिलाने की कोशिश नहीं हुई।
सम्राट बहादुर शाह जफर के झंडे के नीचे पैना के जमींदारों ने 31 मई
1857 को ईस्ट इंडिया कंपनी का अधिपत्य नकारते हुए विद्रोह की घोषणा
कर दी थी। छह जून 1857 को बड़हलगंज के नरहरपुर के राजा हरिप्रसाद
सिंह ने सहयोगियों एवं पैना के जमींदार ठाकुर सिंह, शिवव्रत सिंह,
पल्टन सिंह, शिवजोर सिंह के साथ मिलकर अंग्रेजों का खजाना, रसद और हथियार लूट लिया था।
इस घटना ने क्षेत्र में एक स्फूर्ति भर दी थी। पैना, नरहरपुर, सतासी, पडिय़ापार,
चिल्लूपार आदि में विद्रोही सैनिक तैयार हो रहे थे। पैना प्रमुख गढ़ बना, जहां 600
से अधिक सैनिक हमेशा रहते थे। यहां के नेता ठाकुर सिंह थे।