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कानपुर से किस तरह से हुई आंदोलन की शुरूआत पेशवा महल से फूंका गया था 1857 की क्रांति का बिगुल

कानपुर से किस तरह से हुई आंदोलन की शुरूआत पेशवा महल से फूंका गया था 1857 की क्रांति का बिगुल

बिठूर का इतिहास गौरवशाली है। कानपुर में क्रांति की पहली अलख यहीं से जगी थी,
जिसके केंद्र बिंदु में पेशवा महल था। नाना साहब, अजीमुल्ला खां, रानी लक्ष्मीबाई जैसे
कई शूरवीरों का गौरवशाली इतिहास यहां की पृष्ठभूमि में रचा और बसा है।
बिठूर का पेशवा महल 1857 की क्रांति का गढ़ था। जनरल हैवलाक जब अंग्रेज सेना के
साथ बिठूर की ओर बढ़ा तो नाना साहब के सैनिक सलाहकार तात्या टोपे के नेतृत्व में
विद्रोही सेना ने अंग्रेज सेना का मुकाबला किया।

वह मप्र राव साहब सिंधिया के यहां पहुंचे। उनकी मदद से एक सैनिक टुकड़ी को भी
अपने साथ जोड़ा और कालपी में अंग्रेज सेना का मुकाबला किया। यहां तात्या टोपे की जीत हुई।

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