
मंदिर में हवाई जहाज चढ़ाने की परंपरा हवाई जहाज चढाने से जल्दी मिलता वीजा
आंध्रप्रदेश के हैदराबाद से करीब 40 किलोमीटर की दूरी पर ओसमान सागर लेक के
तट पर बसा चिल्कुर बालाजी का ये मंदिर वीजा दिलाने के लिए प्रसिद्ध है।
इस मंदिर को वीजा वाले बाला जी के मंदिर से भी जाना जाता है।
मान्यता है कि यहां भगवान वेंकटेश बालाजी के एक भक्त रहते थे,
जो रोज पैदल चलकर कोसों दूर तिरुमल बालाजी के मंदिर आते थे।
एक बार उनकी तबियत खराब हो गई, तबीयत इतनी खराब थी कि वे अपने भगवान से मिलने मंदिर तक यात्रा नहीं कर सकते थे। ऐसे में भगवान बालाजी ने सपने में आए और कहा कि तुमको मेरे दर्शन के लिए इतनी दूर आने की आवश्यकता नहीं है। मै तो यही तुम्हारे पास वाले जंगल में रहता हूं। सुबह भक्त भगवान की बताई हुई जगह पर जाते हैं जहां उन्हे उभरी हुई भूमि दिखाई पड़ती है। भक्त के द्वारा उस जमीन की खुदाई की जाती है जिससे वहां से रक्त निकलने लगता है, तभी एक आकाशवाणी होती है कि इस धरती को दूध से नहलाकर वहां एक मूर्ति की स्थापना कि जाए। जब भक्त वहां दुग्धाभिषेक कर रहा होता है तो वहां श्रीदेवी और भूदेवी की मूर्तियां भी अवतरित होती है। प्राचीन काल से ही लोग इस मंदिर पर आकर अच्छी जॉब के लिए प्रार्थना करते है। ऐसी मान्यता है कि बालाजी की 11 परिक्रमा करके मांगी गई मन्नत कभी खाली नही जाती है और जब उनकी मनोकामना पूरी हो जाती है तो भक्त यहां आकर 108 बार परिक्रमा करते है। यहां पर लोग हवाई जहाज चढ़ाकर मन्नत मांगते है क्यूंकि ऐसी मान्यता है कि हवाई जहाज चढ़ाने से विदेश जाने के लिए वीजा जल्दी मिल जाता है।