
बालश्रम बच्चों के भविष्य को ले जा रहा अँधेरे की तरफ नन्हें कन्धों पर बच्चे बेच रहे अपनी खुशियाँ
बाल श्रम, भारतीय संविधान के अनुसार 14 वर्ष से कम उम्र के बच्चों से कारखाने, दुकान, रेस्तरां,
होटल, कोयला खदान, पटाखे के कारखाने आदि जगहों पर कार्य करवाना है। इतना ही नहीं बच्चों का
शोषण भी बालश्रम है जिसका मतलब साफ है कि, बच्चों से ऐसे काम करवाना जिसके लिए वे मानसिक
व शारीरिक रूप से तैयार न हों क्योंकि यही पीड़ा आगे चलकर युवाओं और वयस्कों में अच्छे काम के साथ-साथ उनकी जीवन क्षमता को बाधित कर सकता है। तस्वीरे कानपुर के अलग-अलग क्षेत्रों की हैं ये वो जगह है जहां मेट्रो की शुरूआत की जा रही है, कई मंत्री शहर के हैं, और देश के राष्ट्रपति का इसी शहर से नाता रहा है।जिन्होंने बचपन में खुद वो सारे मंजर देखे जो हालातों पर हथियार डाल देने वाले थे लेकिन उनका परिवार उनके साथ रहा है और आज वो देश ही नहीं दुनिया के लिए भी मिसाल है लेकिन इन मासूमों का क्या जिनका न तो परिवार है और न ही कोई अपना तो ऐसे में क्या यू हीं बच्चों का बचपन छिनता रहेगा, क्योंकि इन मासूमों ने तो अपनी मजबूरी के साथ इतनी कम उम्र में ही समझौता कर लिया।