
पनकी साइट 3 में बिना मानक चल रही भट्ठियों पर क्यों मेहरबान है प्रदूषण विभाग
बैट्री लेड कारखानों से निकलने वाला धुआं मनुष्य के फेफड़ों में जाकर खतरनाक बीमारियों को दे रहा है दस्तक
भट्ठियों से निकलने वाले धुएं में उड़ते है लेड के बारीक कण जो दे रहे है कैंसर,टीबी, दमा,जैसी गंभीर बीमारियों को दावत
सूत्रों की माने तो रात को सेल टैक्स का भी होता है खेल लाखों का सरकार को लगाया जा रहा है चूना
रात के अंधेरे में निकाली जाती है रांगे से लदी गाड़िया सेल टैक्स बचाने के चक्कर में लगाती है रात में चक्कर,
जब इस पूरे मामले पर कानपुर क्षेत्रीय अधिकारी अनिल कुमार माथुर से पूछा गया था तो
उन्होंने जल्द ही टीम गठित कर कार्यवाही का आश्वासन दिया है था लेकिन अभी तक कार्यवाही के नाम पर कुछ नही हुआ
वर्तमान में लेड के पुनर्चक्रण की प्रक्रिया कई तरह के खतरों और चुनौतियों से भरी है। असंगठित क्षेत्र में लेड-एसिड बैटरियों का पुनर्चक्रण करने वाले कामगार यह काम कुछ इस प्रकार अंजाम देते हैं, जिसमें बैटरी से निकलने वाला तेजाब और लेड के कण मृदा और आसपास के परिवेश में घुल जाते हैं। इतना ही नहीं लेड को खुली भट्टी में गलाया जाता है, जिसके कारण विषाक्त तत्व हवा के माध्यम से वायुमंडल में पहुंच जाते हैं। इस प्रकार लेड के पुनर्चक्रण की यह प्रविधि न केवल पर्यावरण, अपितु इसमें सक्रिय कामगारों के स्वास्थ्य के लिए भी अत्यंत हानिकारक है। दरअसल यह प्रक्रिया बहुत सस्ती होने के कारण व्यापक स्तर पर प्रचलित है
बढ़ते प्रदूषण की चुनौती कठिन होती जा रही है। सीसा(लेड) पर्यावरण प्रदूषण का एक प्रमुख कारक है।
क्योंकि लेड से होने वाले विभिन्न प्रकार के प्रदूषण लोगों की शारीरिक एवं मानसिक सेहत पर आघात कर रहे हैं।