Rampurहोम

महज कागजों में चल रहा पॉलिटेक्निक कॉलेज, बिना संचालन के ही शुरू हो गए एडमिशन

कागजों में छात्रों का भविष्य, राजकीय पॉलिटेक्निक का कार्य अधर में लटका

उत्तर प्रदेश की योगी सरकार भले ही शिक्षा को लेकर गंभीर नजर आ रही हो…लेकिन, जमीनी स्तर पर काम करने वाली सरकारी मशीनरी कुछ मामलों में फेल ही नजर आ रही है…कुछ इसी तरह का एक मामला जनपद रामपुर में उस समय देखने को मिला जब करोड़ों रुपए की लागत से बनने वाले राजकीय पॉलिटेक्निक का कार्य अधर में लटक गया…हैरत की बात तब हुई जब यहां पर बिना संचालन के ही एडमिशन शुरू हो गए…दूरदराज के छात्र भटकने लगे तब जाकर पता चला कि ये पॉलिटेक्निक कॉजेल महज कागजों में ही चल रहा है…

दरअसल रामपुर जनपद में वर्तमान समय में सरकारी अभिलेखों के मुताबिक तीन राजकीय पॉलिटेक्निक संचालित हैं…जिनमें से एक रामपुर शहर में, दूसरी तहसील शाहाबाद में और तीसरी चमरौआ विकास खंड क्षेत्र के नौगवां में स्थित हैं…रामपुर और शाहाबाद की पॉलिटेक्निक में बाकयदा बच्चों को लिए पाठ्यक्रम इन्ही कैंपस में जारी हैं…जबकि नौगवां स्थित पॉलिटेक्निक की इमारत ही सही से बनकर खड़ी नहीं हुई है…बावजूद इसके यहां पर कागजों में एडमिशन चल रहे हैं…दरअसल पूर्व की सपा सरकार में साल 2014 में चार एकड़ सरकारी जमीन पर राजकीय पॉलिटेक्निक की इमारत बनाए जाने का कार्य शुरू हुआ…इसका ठेका भी आजम खान के विधायक बेटे अब्दुल्ला आजम के दोनों चर्चित दोस्तों सलीम और अनवर को मिला…निर्माण कार्य दो साल तक जारी रहा और 12 करोड़ रुपये की लागत से बनने वाले इस प्रोजेक्ट को 6 करोड़ रुपये रिलीज हुए…निर्माण कार्य को आगे बढ़ाने के लिए अगली किस्त आनी थी, लेकिन तभी कुछ ऐसा हुआ कि इस काम को रोक दिया गया और तब से अब तक ये आधा अधूरा ही है…

राजकीय पॉलिटेक्निक कॉलेज के निर्माण के दौरान नौगवां के अलावा इससे सटे दर्जनों गांव के ग्रामीणों को काफी खुशी महसूस हुई थी…लोगों में उम्मीद थी कि जब यह पॉलिटेक्निक कॉलेज पूरी तरह बनकर तैयार हो जाएगा…तो इलाके में तरक्की होनी भी शुरू हो जाएगी…लेकिन सालों से अदर में लटके इस प्रोजेक्ट ने सबी के अरमानों पर पानी फेर दिया है…हैरत की बात तब होती है जब इस निर्माणाधीन पॉलिटेक्निक के कमरों और हॉल में देखभाल करने वाले निजी चौकीदार ने सब्जियां उगा रखी हैं…जानवरों का चारा रख रखा है…फिर भी सरकारी दस्तावेजों में अभ्यर्थियों के एडमिशन जारी है…

मुसाफिरों की तरह दूर दराज के इलाकों से आने वाले कई छात्रों को ग्रामीण चंद घंटों के लिए पनाह भी दे चुके हैं…अब सवाल ये उठता है कि करोड़ों का ये प्रोजेक्ट जब अधूरा है तो कागजों में इसका संचालन दिखाया जाना कहां तक उचित है…हालांकि ये बात अलग है कि इस पॉलिटेक्निक में एडमिशन पाने वाले छात्रों को रामपुर की पॉलिटेक्निक में कनेक्ट कर दिया जाता है…

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