इतिहास

ताजमहल…एक प्रेम कहानी, मोहब्बत की है निशानी…आइये जानते हैं ताजमहल के इतिहास को…

ताजमहल भारत के उत्तर प्रदेश राज्य के आगरा शहर में यमुना नही के तट पर मौजूद है...इसका निर्माण मुगल बादशाह शाहजहां ने अपनी सबसे प्रिय बेगम मुमताज महल की याद में करवाया था...वास्तुकला में भारत की समृद्धि को प्रदर्शित करती यह खूबसूरत इमारत बर्ष 1983 से यूनेस्को विश्व धरोहर की सूची में शामिल है

मध्यकालीन भारत में निर्मित वास्तुकला के नायाब नमूनों में एक ताजमहल सबसे अनूठा है…मोहब्बत की निशानी समझी जाने वाली यह इमारत पूरी दुनियां में अपनी सुंदरता के लिए मशहूर है…जिसका देश विदेश के तकरीबन 70 से 80 लाख सैलानी प्रतिवर्ष दीदार करने आते हैं…

ताजमहल भारत के उत्तर प्रदेश राज्य के आगरा शहर में यमुना नही के तट पर मौजूद है…इसका निर्माण मुगल बादशाह शाहजहां ने अपनी सबसे प्रिय बेगम मुमताज महल की याद में करवाया था…वास्तुकला में भारत की समृद्धि को प्रदर्शित करती यह खूबसूरत इमारत बर्ष 1983 से यूनेस्को विश्व धरोहर की सूची में शामिल है…इसके अलावा अतिरिक्त वर्ष 2007 में इसे विश्व के सात नए अजूबों की श्रेणी में पहला स्थान दिया गया है….नमस्कार दोस्तों स्वागत है आपका हमारी खास पेशकश में जहां हम विभिन्न विषयों से संबंधित महत्वपूर्ण और रोचक जानकारी आप तक पहुंचाते हैं…आज इस पेशकश में हम ऐतिहासिक महत्व की एक धरोहर तथा इसके इतिहास को विस्तार से बताएंगे…

 

मुगल बादशाह शाहजहां ने अपनी कुशल रणनीति के चलते 1628 ईसवी से 1658 ईसवी तक भारत पर शासन किया था…शाहजहां स्थापत्य कला और वास्तुकला का गूढ़प्रेमी था…इसलिए उसने अपने शासनकाल में कई ऐतिहासिक इमारतों का निर्माण करवाया था…जिसमें से ताजमहल उनकी सबसे प्रसिद्ध इमारत है…जिसकी खूबसूरती के चर्चे पूरी दुनियाभर में हैं…ताजमहल दुनिया की सबसे मशहूर ऐतिहासिक इमारतों में से एक है…मुगल शासक शाहजहां ने अपनी सबसे चहेती बेगम मुमताज महल की मौत के बाद उनकी याद में 1632 ईसवी में इसका निर्माण काम शुरु करवाया था…आपको बता दें कि ताजमहल, मुमताज महल का एक विशाल मकबरा है…इसलिए इसे ”मुमताज का मकबरा” भी कहते हैं…मुगल बादशाह शाहजहां ने अपने प्रेम को हमेशा अमर रखने के लिए ताजमहल का निर्माण करवाया था…

खुर्रम उर्फ शाहजहां ने 1612 ईसवी में अरजुमंद बानो बेगम यानी मुमताज महल से उनकी खूबसूरती से प्रेरित होकर निकाह किया था…जिसके बाद वे उनकी सबसे प्रिय और पसंदीदा बेगम बन गईं थी…मुगल बादशाह शाहजहां अपनी बेगम मुमताज महल को इस कदर प्यार करता था कि वह एक पल भी उनसे दूर नहीं रह सकता था…यहां तक की वह अपने राजनैतिक दौरे में भी उनको अपने साथ लेकर जाता था और मुमताज बेगम की सलाह से ही अपने राज-काज से जुड़े सभी फैसले लेता था और मुमताज की मुहर लगने के बाद ही शाही फरमान जारी करता था…वहीं 1631 ईसवी में मुमताज महल जब अपनी 14वीं संतान को जन्म दे रही थीं…तभी अत्याधिक प्रसव पीड़ा की वजह से उनकी मौत हो गई थी…वहीं शाहजहां अपनी प्रिय बेगम की मौत से अंदर से बिल्कुल टूट गया था और इसके बाद वह काफी गमगीन रहने लगा था…फिर उसने अपने प्रेम को सदा अमर रखने के लिए ”मुमताज का मकबरा” बनाने का फैसला लिया था…जो कि बाद में ताजमहल के नाम से मशहूर हुआ…इसलिए ताजमहल को शाहजहां और मुमताज के बेमिसाल प्रेम का प्रतीक भी माना जाता है…

मोहब्बत की मिसाल माने जाने वाले ताजमहल का निर्माण काम करीब 23 साल के लंबे समय के बाद पूरा हो सका था…सफेद संगममर से बने ताजमहल की नक्काशी और सजावट में छोटी-छोटी बारीकियों का खासा ध्यान रखा गया है…यही वजह है निर्माण के इतने सालों बाद आज भी लोग इसकी खूबसूरती के कायल है और यह दुनिया के सात आश्चर्यों में से एक है…आपको बता दें कि मुगल बादशाह शाहजहां ने ताजमहल का निर्माण 1632 ईसवी में शुरु किया था, लेकिन इसका निर्माण काम 1653 ईसवी में पूरा हो सका था…मुमताज के इस बेहद खास मकबरे को बनाने का काम वैसे तो 1643 ईसवी में ही पूरा कर लिया गया था, लेकिन इसके बाद वैज्ञानिक महत्व और वास्तुकला के हिसाब से इसकी संरचना को बनाने में करीब 10 साल और ज्यादा लग गए थे…इस तरह दुनिया की यह भव्य ऐतिहासिक धरोहर 1653 ईसवी में पूरी तरह बनकर तैयार हुई थी…ताजमहल को बनाने में हिन्दू, इस्लामिक, मुगल समेत कई भारतीय वास्तुकला का समावेश किया गया है…ताजमहल को करीब 20 हजार मजदूरों ने मुगल शिल्पकार उस्ताद अहमद लाहैरी के नेतृत्व ने बनाया था…हालांकि ताजमहल को बनाने वाले मजदूरों से संबंधित यह मिथ भी जुड़ा हुआ है कि ताजमहल का निर्माण काम पूरा होने के बाद मुगल शासक शाहजहां ने सभी कारीगरों के हाथ कटवा दिए थे…ताकि दुनिया में ताजमहल जैसी अन्य इमारत नहीं बन सके…वहीं ताजमहल के दुनिया के सबसे अलग और अद्भुत इमारत होने के पीछे एक यह भी बड़ा कारण बताया जाता है…

भारत की शान माने जाने वाले ताजमहल को बनाने में मुगल सम्राट शाहजहां ने दिल खोलकर पैसा खर्च किया था…जबकि उसकी संतान औरंगजेब ने इसका काफी विरोध भी किया था…आपको बता दें कि मुमताज महल के इस भव्य मकबरे को बनाने में शाहजहां ने उस समय करीब 20 लाख रुपए की लागत खर्च की थी…जो कि आज के करीब 827 मिलियन डॉलर और 52.8 अरब रुपए है…

ताजमहल अपने आप में अनुपम और अद्भुत स्मारक है, जो कि अपनी अप्रितम वास्तुकला के लिए दुनिया भर में मशहूर है…यह सफेद संगममर पत्थरों से बनी एक बहुमूल्य ऐतिहासिक धरोहर है, जो कि भारतीय, इस्लामिक, मुगल और परसी वास्तुकला का बेजोड़ नमूना है…ताजमहल को बनाने में प्राचीन मुगल परंपराओं समेत पार्शियन वास्तुशैली का बेहद ध्यान रखा गया था…मुगलकाल में बने इस ऐतिहासिक स्मारक, ताजमहल के निर्माण में बहुमूल्य एवं बेहद महंगे सफेद संगममर के पत्थरों का इस्तेमाल किया गया है…आपको बता दें कि मुगल शासकों ने अपने शासनकाल के दौरान ज्यादातर ऐतिहासिक इमारतों के निर्माण में लाल बलुआ पत्थरों का इस्तेमाल किया था, लेकिन ताजमहल के निर्माण में सफेद संगममर के पत्थरों का इस्तेमाल अपने आप में खास है, जो कि इसकी खूबसूरती को और अधिक बढ़ा देते हैं…इस बेहद सुंदर और आर्कषण इमारत के निर्माण में करीब 28 अलग-अलग तरह के पत्थरों का इस्तेमाल किया गया है…जो कि हमेशा चमकते रहते हैं और कभी काले नहीं पड़ते…वहीं कई पत्थरों की यह भी खासियत है कि यह चांद की रौशनी में चमकते रहते हैं…वहीं शरद पूर्णिमा के दौरान पत्थरों के चमकने से ताजमहल की शोभा और भी अधिक बढ़ जाती है…ताजमहल की दीवारों पर बेहद खूबसूरत नक्काशी की गई है…भारतीय-इस्लामिक वास्तुकला के इस अद्भुत ऐतिहासिक इमारत के बाहर बेहद सुंदर लाल पत्थरों से बना एक काफी ऊंचा दरवाजा है…ताजमहल के शीर्ष पर करीब 275 फुट ऊंची विशाल गुंबद बनी हुई है, जो कि इसके आर्कषण को और भी अधिक बढ़ाती है। इसके अलावा अन्य कई छोटी-छोटी गुंबद भी बनी हुई है…ताजमहल की गुंबद के नीचे दो बेमिसाल प्यार करने वाले प्रेमी मुमताज और शाहजहां की कब्र भी बनी हुई हैं, लेकिन इन कब्रों को वास्तविक नहीं समझा जाता है। इनकी असली समाधि नीचे तहखाने में बनी हुई है, जहां आमतौर पर जाने की अनुमति नहीं है…अर्धगोलाकार आकार में बने ताजमहल की सुंदरता और भव्यता को देखकर हर कोई मंत्रमुंग्ध हो जाता है और इसकी तरफ खींचा चला आता है…

अब बताते हैं आपको ताजमहल के अलग-अलग हिस्सों के बारे में…दुनिया के इस सबसे खूबसूरत और भव्य स्मारक ताजमहल का मुख्य प्रवेश दक्षिण द्धार से है…इस एंट्री गेट की लंबाई 151 फीट और चौड़ाई 117 फीट है। इस प्रवेश द्धार के आस-पास और बगल में कई और छोटे द्धार भी बने हुए हैं, जिनके माध्यम से यहां आने वाले सैलानी ताजमहल के मुख्य परिसर में प्रवेश करते हैं…ताजमहल का मुख्य द्धार को लाल बलुआ पत्थरों से बनाया गया है…30 मीटर ऊंचे, ताजमहल के इस मुख्य द्धार पर कुरान की पवित्र आयतें तराशी गईं हैं, जो कि इसकी सुंदरता को और अधिक बढ़ा रही हैं…इसके ऊपर एक छोटा सा गुंबद भी बना हुआ है…वहीं ताजमहल के मेन गेट की खासियत यह है कि यह अक्षर लेखन के सामान आकार का दिखाई देता है, जिसे बड़ी समझदारी और कुशलता के साथ तराशा गया है…दुनिया के 7 अजूबों में से एक ताजमहल की सुंदर नक्काशी और कारीगरी की वजह से यह अपने आप में अद्धितीय है, लेकिन इसकी खूबसूरती को इसके परिसर में बने हरे-भरे बगीचे और भी ज्यादा बढ़ा रहे हैं…आपको बता दें कि यहां चार सुंदर बगीचे बने हुए हैं, जो कि इसके दोनों तरफ फैले हुए हैं…

इस भव्य ताजमहल के बीचो-बीच एक मंच बना हुआ है…जिसके लेफ्ट साइड में ताज संग्रहालय है, जिसे कारीगरों ने बेहद बारीकी से तराशा है…ताजमहल के बाईं तरफ मुगल सम्राट शाहजहां ने लाल बलुआ पत्थरों से एक शानदार मस्जिद बनवाई है…मुमताज महल के भव्य मकबरा के पास इस भव्य मस्जिद का निर्माण करवाया गया है…ताजमहल का मुख्य आर्कषण का केन्द्र शाहजहां की प्रिय बेगम मुमताज महल का मकबरा है…इस मकबरे को बड़े-बड़े सफेद संगमरमर के पत्थरों का इस्तेमाल कर बनाया गया हैं…वहीं इस मकबरे के ऊपर पर गोल गुंबद इसके आर्कषण को और भी अधिक बढ़ रहा है…वर्गाकार आकार में बने इसे शानदार मकबरे का हर किनारा करीब 55 मीटर का है…वहीं इस इमारत का आकार अष्टकोण है…मकबरे में चार सुंदर मीनारें भी बनी हैं,जो इस भव्य इमारत की चौखट बनती हुईं प्रतीत होती हैं…इसके साथ ही आपको यह भी बता दें कि मुगल सम्राट शाहजहां द्धारा बनवाया गया यह मकबरा करीब 42 एकड़ जमीन में फैला हुआ है…वहीं इसके चारों तरफ सुंदर हरे-भरे बगीचों होने की वजह से यह बेहत खूबसूरत लगता है…ताजमहल के अंदर बनी मुमताज बेगम की कब्र अथवा मकबरा के शीर्ष पर एक सफेद संगमरमर के पत्थर से बनी विशाल गुंबद, एक उल्टे कलश की तरह सुशोभित है, जो कि इसकी खूबसूरती पर चार चांद लगा रही है…ताजमहल के चारों कोनों पर करीब 40 मीटर ऊंचाई वाली सुंदर मीनारें बनी हुईं हैं…जो कि इसकी सुंदरता को और अधिक बढ़ा रही हैं…वहीं यह मीनारें अन्य मीनारों की तरह एकदम सीधी नहीं होकर थोड़ी सी बाहर की तरफ झुकी हुई हैं…वहीं इन मीनारों का बाहर की तरफ झुकाव के पीछे यह तर्क दिया जाता है कि अगर किसी भी विनाशकारी परिस्थिति में मीनार गिरती है तो यह मीनारें बाहर की तरफ ही गिरेंगी, इससे ताजमहल की मुख्य इमारत को किसी तरह का नुकसान नहीं पहुंचेगा…मुमताज महल के इस भव्य मकबरे का अति विशाल गुंबद आसाधरण रुप से एक बड़े ड्रम पर टिका हुआ है, जिसकी कुल ऊंचाई 44.41 मीटर है…आंतरिक प्रारुप एवं सजावट: मुमताज महल के इस भव्य मकबरे के नीचे एक तहखाना भी है, आम तौर पर सैलानियों को यहां जाने की अनुमति नहीं है…इस कब्र के नीचे करीब 8 कोने वाले 4 अलग-अलग कक्ष है…इस कक्ष के बीचों-बीच शाहजहां और मुमताजमहल की भव्य और आर्कषित कब्रे हैं…आपको बता दें कि इमारत के अंदर शाहजहां की कब्र बाईं तरफ बनी हुई हैं, जो कि मुमताज महल की कब्र से कुछ ऊंचाई पर है और विशालकाय गुंबद के ठीक नीचे बनी हुई है…जबकि मुमताज महल की कब्र संगमरमर की जाली के बीच में स्थित है, जिस पर बेहद खूबसूरत तरीके से पर्शियन में कुरान की आयतें लिखी हैं…इन दोनों खूबसूरत कब्रों को कीमती रत्नों से सजाया गया है और इन कब्रों के चारों तरफ संगमरमर की जालियां बनी हुईं है…तो ये था मोहब्बत के प्रतीक ताजमहल का इतिहास..

Back to top button
Bharat AtoZ News
Close