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बच्चों का भविष्य गढ़ रही ‘निपुण भारत एक्सप्रेस, स्कूल स्टाफ ने अपने प्रयासों से बदल दी तस्वीर, पढ़ाई के प्रति रुचि बढ़ाने के लिए अनूठी की पहल

स्कूल स्टाफ ने अपने प्रयासों से स्कूल की तस्वीर बदल दी है... स्कूल में बच्चों की उपस्थिति भी है... प्राथमिक स्कूल की तस्वीर बदलने के लिए उन्होंने नायाब तरीका निकाला है... अमेठी स्थानीय ब्लॉक के सीतारामपुर गांव स्थित प्राथमिक विद्यालय की प्रधानाध्यापक व संकुल शिक्षक ने संसाधनों के अभाव में भी बच्चों को बेहतर तालीम देने और उनमें पढ़ाई के प्रति रुचि बढ़ाने के लिए अनूठी पहल की है...

स्कूल स्टाफ ने अपने प्रयासों से स्कूल की तस्वीर बदल दी है… स्कूल में बच्चों की उपस्थिति भी है… प्राथमिक स्कूल की तस्वीर बदलने के लिए उन्होंने नायाब तरीका निकाला है… अमेठी स्थानीय ब्लॉक के सीतारामपुर गांव स्थित प्राथमिक विद्यालय की प्रधानाध्यापक व संकुल शिक्षक ने संसाधनों के अभाव में भी बच्चों को बेहतर तालीम देने और उनमें पढ़ाई के प्रति रुचि बढ़ाने के लिए अनूठी पहल की है… विद्यालय के तीन कमरों की दीवारों पर निपुण भारत एक्सप्रेस ट्रेन की हूबहू पेंटिंग कराई गई है… जो बच्चों व अभिभावकों को लुभा रही है…

 

विद्यालय में बाउंड्रीवाल, जर्जर कमरे और जलभराव की समस्या है… इसके बावजूद ये विद्यालय इन दिनों शिक्षा विभाग और क्षेत्र में चर्चा का विषय बना हुआ है… सीतारामपुर गांव के किनारे प्राथमिक विद्यालय है… गौरतलब है कि विभाग की ओर से एक अगस्त से 22 सप्ताह तक निपुण भारत कार्यक्रम संचालित कराया जा रहा है… प्रधानाध्यापक व संकुल शिक्षक नीलम तिवारी ने निपुण भारत कार्यक्रम से बच्चों और उनके अभिभावकों को जोड़ने का विद्यालय परिसर में अनूठा प्रयास किया है.. प्राथमिक विद्यालय में संसाधनों का अभाव है… विद्यालय में कुल 59 बच्चे (26 बालक और 33 बालिका) पंजीकृत हैं… बच्चों के बैठने के लिए पर्याप्त डेस्क व बेंच की व्यवस्था है… विद्यालय में कुल पांच कमरे हैं… इसमें तीन कमरों की छतों से पानी टपकता है और फर्श भी खराब हो गई है… बारिश के दिनों में सिर्फ दो ही कमरों में पठन-पाठन हो पाता है… विद्यालय परिसर निचला होने के चलते जलभराव की समस्या हो जाती है… बाउंड्रीवाल का निर्माण हो रहा है… विद्यालय के मात्र दो कमरों में ही पंखे और लाइट की व्यवस्था है…. कुल पांच कमरों में से एक कमरे में आंगनबाड़ी केंद्र भी संचालित होता है… बारिश के दिनों में विद्यालय के शिक्षकों व बच्चों को अधिक परेशानियों का सामना करना पड़ता है…

इन सबके बावजूद विद्यालय प्रधानाध्यापक ने दो कमरों और प्रसाधन स्टोर रूम को मिलाकर उनके फ्रंट की दीवारों पर ट्रेन जैसी पेंटिंग बनवा दी है… बाहर से देखने पर कमरों में प्रवेश करते समय लगता है कि हम ट्रेन के डिब्बे में जा रहे हैं… बच्चे भी कक्षा में ट्रेन के इंजन व कोच के डिब्बों जैसी खिड़कियों के सामने उत्साह से कतारबद्ध खड़े होकर फोटो खिंचवाते हैं… प्रधानाध्यापक ने बताया कि वे संकुल शिक्षक हैं… इसके चलते वे पहले स्वयं विद्यालय में कुछ अलग करने का प्रयास कर रही हैं… प्रदेश के एक ग्रुप में उन्होंने ट्रेन जैसे विद्यालय की फोटो देखी थी… बताया कि कमरे जर्जर और खराब हैं… इसके बावजूद पेंटिंग आदि कार्य कराकर कुछ अलग करने का प्रयास किया गया है… विद्यालय में तैनात सहायक अध्यापक अंतिमा देवी, शिक्षामित्र साधना पांडेय तथा दोनों रसोईया का भी पूरा सहयोग मिलता है… धम्मौर के परवर भार के पेंटर कृष्णकुमार ने उनकी इस सोच को साकार करने के लिए पेंटिंग बनाई है… इससे जहां बच्चों की उपस्थिति सामान्य से अधिक रहती है वहीं जो अभिभावक एवं अन्य लोग विद्यालय को देखने आते हैं और फोटो खिंचवाते हैं…

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