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शादी से पहले उठी पिता, दादी-बाबा की अर्थी, 12 मार्च को आनी थी निमिषा की बरात, तैयारियों में जुटा…

शादी से पहले उठी पिता, दादी-बाबा की अर्थी, 12 मार्च को आनी थी निमिषा की बरात, तैयारियों में जुटा...

बसंतीनगर में ठंड से बचने के लिए रविवार रात कमरे में अंगीठी जलाकर सोए लोहा कारोबारी व उनके माता-पिता की दम घुटने से मौत हो गई। वहीं, कारोबारी के दो बच्चों की भी हालत बिगड़ गई।

 

कानपुर में जूही परमपुरवा के बसंतीनगर में हुए हादसे में जान गंवाने वाले नरेंद्र शर्मा ने अपनी बेटी निमिषा की शादी तय कर दी थी। 12 मार्च को उसकी बरात आनी थी। शादी की तैयारियों में पूरा परिवार जुटा हुआ था। इसके पहले ही घर से एक साथ तीन अर्थियां उठने से खुशियों का माहौल मातम में बदल गया।

मृतक नरेंद्र के भाई रामजी ने बताया कि निमिषा की शादी तय होने से पूरा परिवार खुश था। सभी लोग शादी की खरीदारी में व्यस्त थे। निमिषा की शादी में शामिल होने को लेकर खासकर उसके दादा पूरनचंद्र व दादी मिथिलेश भी बहुत उत्साहित थीं। इस बीच सोमवार को हुए हादसे ने पूरे परिवार को सदमे में डाल दिया है।

किसी को भरोसा नहीं हो रहा कि एक ही रात में परिवार के तीन लोग उन्हें छोड़कर चले गए। सोमवार को परिवार के तीन लोगों की मौत की खबर सुनकर सभी रिश्तेदार घर के बाहर एकत्रित हो गए। एक साथ तीन शव को देख लोगों के आंसू रुकने का नाम नहीं ले रहे थे। आस-पास के लोग परिजनों को ढाढस बंधाते रहे।

 

पहले मां और अब पिता का भी छिन गया साया
निमिषा ने स्नातक तक की पढ़ाई की है। ध्रुव सोने लाल पटेल इंटर कॉलेज से 12वीं का छात्र है। सात साल पहले बीमारी से निमिषा की मां प्रतिभा उर्फ बबली का देहांत हो चुका था। अब पिता नरेंद्र की मौत से भी दोनों बच्चों के सिर से माता-पिता का साया छिन गया। दोनों बच्चों की जिम्मेदारी उनकी दादी मिथिलेश ही संभालती थीं, लेकिन हादसे में उनकी भी मौत हो जाने से अब बच्चों के परवरिश की जिम्मेदारी उनके चाचा पर है। रामजी ने बताया कि एक साल पहले उन्होंने बड़े भाई नरेंद्र के साथ मिलकर बसंतीनगर में दो मंजिला मकान बनवाया था।

बच्चों के अस्पताल से आने के बाद उठा शव
पुलिस टीम जब घटना स्थल पर पहुंची तो बच्चों ने सिर में दर्द होने के बात कही। जूही थाना प्रभारी ने सरकारी वाहन से दोनों बच्चों निमिषा और ध्रुव को निजी अस्पताल में भर्ती कराया। इधर परिजन पहले शव का पोस्टमार्टम कराने से इन्कार करते रहे। डीसीपी के समझाने के बाद राजी हुए। पुलिस जब शव को पोस्टमार्टम के लिए कब्जे में लेने का प्रयास करने लगी तो परिजनों ने बच्चों के अस्पताल से आने के बाद शवों को ले जाने की बात कही। एक घंटे बाद जब बच्चे घर पहुंचे, तो शव को पोस्टमार्टम के लिए भेजा जा सका। प्रक्रिया में देरी होने के चलते शव का पोस्टमार्टम नहीं हो सका, जो मंगलवार को होगा।

दूधिये के पहुंचने पर बेटी की खुली आंख, तो हादसे का पता चला
बसंतीनगर में ठंड से बचने के लिए रविवार रात कमरे में अंगीठी जलाकर सोए लोहा कारोबारी व उनके माता-पिता की दम घुटने से मौत हो गई। कारोबारी के दो बच्चों की भी हालत बिगड़ गई। चारा मशीन की ट्रे बनाकर थोक में बेचने वाले नरेंद्र शर्मा (52) अपने पिता पूरनचंद्र (80), मां मिथिलेश (78), बेटी निमिषा (22) उर्फ कंचन व बेटे ध्रुव (18) के साथ रहते हैं।

ठंड से बचने के लिए जलाई थी अंगीठी
उनकी पत्नी प्रतिभा की सात साल पहले बीमारी से मौत हो चुकी है। परिवार दो मंजिला मकान के प्रथम तल पर रहता है। इसी तल के दूसरे कमरे में छोटा भाई रामजी पत्नी रजनी व दो बच्चों स्पर्श और मोमो के साथ रहता है। ग्राउंड फ्लोर पर कारखाना है, जिसको दोनों भाई मिलकर चलाते थे। नरेंद्र की बेटी निमिषा ने पुलिस को बताया कि रविवार देर रात करीब 10:30 बजे खाना खाने के बाद दादी ने ठंड से बचने के लिए कमरे में अंगीठी जलाई।

रविवार देर रात हुआ हादसा, दो बच्चों की भी बिगड़ी तबीयत
कमरे के खिड़की और दरवाजे भी बंद कर दिए। वह भी उसी कमरे में सो रही थी। सुबह करीब आठ बजे दूधिये ने गेट खटखटाया तो आंख खुली। पिता को जगाने का प्रयास किया, लेकिन कोई हलचल न देख चाचा रामजी को बुलाया। कमरे में पहुंचे रामजी पड़ोसियों की मदद से भाई नरेंद्र, पिता पूरनचंद्र व मां मिथिलेश को लेकर कार्डियोलॉजी पहुंचे, जहां डॉक्टरों ने तीनों को मृत घोषित कर दिया। डीसीपी रविंद्र कुमार ने बताया कि निमिषा और ध्रुव की तबीयत भी बिगड़ गई थी। हालांकि प्राथमिक उपचार के बाद उनकी हालत सामान्य हो गई थी। इसके बाद निमिषा ने पूरा घटनाक्रम बताया।

बंद खिड़की से मौत की एंट्री
नरेंद्र शर्मा की बेटी निमिषा ने बताया कि रात करीब दो बजे कमरे में सो रहे भाई ध्रुव का जी मिचलाने लगा। उसे उल्टियां होने लगीं। इस पर उसकी भी आंख खुल गई। उसका भी दम सा घुट रहा था, लेकिन वह खतरे को भांप नहीं पाई। उठकर खिड़की खोली। ध्रुव को दवा दी और दोबारा खिड़की बंदकर खुद भी सो गई। निमिषा के अनुसार काश उसने खिड़की खुली छोड़ दी होती तो शायद पिता, दादा और दादी जिंदा होते। निमिषा ने बताया कि ध्रुव की पांच दिनों से तबीयत ठीक नहीं थी। रात को 12 बजे भी उसे उल्टियां हुई थीं, तब भी दवा दी थी।

कमरे में अंगीठी जलाकर सो रहे तीन लोगों की दम घुटने से मौत की बात सामने आ रही है। तीनों शवों का पोस्टमार्टम मंगलवार को कराया जाएगा। इसके बाद ही मौत के सही कारणों की पुष्टि हो सकेगा।  -रविंद्र कुमार, डीसीपी साउथ
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