Breaking NewskanpurKanpur Nagarउत्तरप्रदेशराजनीती

राम विराजे…अब लव-कुश की जन्मस्थली के विकास की बारी…

राम विराजे...अब लव-कुश की जन्मस्थली के विकास की बारी...

अयोध्या में श्रीराम की प्राण प्रतिष्ठा हो चुकी है। अब लव-कुश के जन्मस्थली के विकास की मांग की जा रही है।

 

योध्या में सोमवार को रामलला की स्थापना के बाद अब बिठूर के विकास की मांग तेज हो गई है। अयोध्या, वाराणसी की तरह बिठूर स्थित वाल्मीकि आश्रम सहित अन्य स्थलों के जीर्णोद्धार के लिए क्षेत्रीय विधायक अभिजीत सिंह सांगा ने जिलाधिकारी को पत्र लिखा है। डीएम ने भी इसका प्रस्ताव तैयार करने के निर्देश दिए हैं। मार्च में प्रस्तावित कैबिनेट बैठक में इस प्रस्ताव पर मुहर लगने की संभावना जताई जा रही है

त्रेता युग में बिठूर स्थित वाल्मीकि आश्रम में सीता ने लव, कुश को जन्म दिया था। सरकार ने करीब पांच साल पहले अयोध्या, चित्रकूट आदि के साथ इस नगरी को भी रामायण सर्किट में शामिल किया था। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी बिठूर के विकास की घोषणा कर चुके हैं, पर आजतक अमल नहीं हुआ। वाल्मीकि आश्रम के पास ही पानी का फव्वारा कई साल से खराब पड़ा है। अमर उजाला ने इन स्थलों की पड़ताल की तो हकीकत सामने आई।

बदहाल है वाल्मीकि आश्रम
वाल्मीकि आश्रम में सीता अपने बेटों लव और कुश के साथ रहतीं थीं। इस आश्रम का मुख्य द्वार चार साल से जर्जर है। गिरने की आशंका के मद्देनजर इसे बंद कर दिया गया है। दीवारें, छत भी जर्जर हैं। आश्रम के बगल में स्थित लव-कुश जन्मस्थली का भी यही हाल है। श्रद्धालु अन्य संकरे द्वारों से आते-जाते हैं।

सीता रसोई की हालत खराब
वाल्मीकि आश्रम में ही सीता रसोई है। मान्यता है कि सीता माता वाल्मीकि आश्रम में निवास के दौरान इसी रसोई में भोजन बनातीं थीं। उस स्थल पर बनी प्रतीकात्मक रसोई में पुराने मिट्टी के बर्तन रखे हैं। यहां प्लास्टर उखड़ा है। ईंटों में नोना लगा है। इसकी दशा देखकर दर्शनार्थी दुखी हो जाते हैं।

अयोध्या, वाराणसी की तरह जीर्णोद्धार की मांग
पुरातत्व विभाग और नमामि गंगे परियोजना के तहत ऐतिहासिक स्थलों और घाटों पर काम कराया गया। यहां गंगा किनारे घाटों की दशा ठीक नहीं है। घाटों को जाने वाले रास्ते संकरे हैं। बिठूर वासियों ने अयोध्या, वाराणसी की तरह बिठूर के जीर्णोद्धार की मांग की है।

  • टीवी पर देखता हूं कि बनारस में घाटों के किनारे तक पानी हमेशा रहता है। नाव चलती रहती हैं, यहां जबसे नमामि गंगे के तहत घाटों का सुंदरीकरण हुआ है, तब से घाटों में बरसात के अलावा पानी नहीं रहता है।  -रामशंकर, नाविक
  • बनारस की तर्ज पर बिठूर के घाटों तक चौड़े रास्ते हों और पौराणिक, ऐतिहासिक घाटों का भी सुंदरीकरण हो। किसी घाट से आधा किलोमीटर तो किसी से एक-डेढ़ किलोमीटर दूर गंगा की धारा तक बालू, मिट्टी जमा है।  -राम जी द्विवेदी
  • पूर्वज बताते हैं कि बिठूर में गंगा कभी ब्रह्मवर्त घाट से दूर नहीं जाती थी, लेकिन जब से नमामि गंगे के तहत घाटों का सुंदरीकरण हुआ है, तब से इस पौराणिक घाट से गंगा दूर चली गई हैं। घाटों के आगे मिट्टी, बालू जमा है।  -राजू यादव

ये हैं दर्शनीय स्थल
बिठूर में वाल्मीकि आश्रम, सीता रसोई, लव व कुश की जन्मस्थली, सीता कुंड, गणेश मंदिर, ध्रुव टीला, ब्रह्मावर्त घाट, ब्रह्मा खूंटी, ब्रह्मेश्वर शिव मंदिर, पत्थर घाट, टिकैतराय शिव मंदिर, रानी लक्ष्मीबाई घाट, श्री संकट मोचन मंदिर, नाना राव पेशवा स्मारक आदि।
Tags

Related Articles

Back to top button
Bharat AtoZ News
Close