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बराही धाम मे धार्मिक-आध्यात्मिक और पर्यटन के दृष्टिकोण से देश में एक नया कृतिमान काम होगा

बिहार के औरंगाबाद की सीमा से सटे झारखंड के पलामू जिले के हुसैनाबाद प्रखंड के बराही धाम में धार्मिक-आध्यात्मिक और पर्यटन के दृष्टिकोण से देश में एक नया इतिहास रचा जा रहा है। यहां न केवल सनातन धर्म के 33 कोटि(करोड़) देवी-देवताओं की अद्भुत, अलौकिक और अत्यंत आकर्षक प्रतिमाओं की स्थापना की जा रही है बल्कि भव्य, आकर्षक और बेहद प्रभावशाली मंदिरों का भी निर्माण किया जा रहा है।

औरंगाबाद; बिहार के औरंगाबाद की सीमा से सटे झारखंड के पलामू जिले के हुसैनाबाद प्रखंड के बराही धाम में धार्मिक-आध्यात्मिक और पर्यटन के दृष्टिकोण से देश में एक नया इतिहास रचा जा रहा है। यहां न केवल सनातन धर्म के 33 कोटि(करोड़) देवी-देवताओं की अद्भुत, अलौकिक और अत्यंत आकर्षक प्रतिमाओं की स्थापना की जा रही है बल्कि भव्य, आकर्षक और बेहद प्रभावशाली मंदिरों का भी निर्माण किया जा रहा है। 2030 तक यहां सारे मंदिर बन जाएंगे और 33 कोटि देवी-देवताओं की प्रतिमा भी स्थापित हो जाएगी। फिलहाल यहां मां अष्टभुजी भगवती मंदिर और बजरंग बली की देश के एक और सबसे उंची प्रतिमा में शुमार 105 फीट हनुमान प्रतिमा स्थापित हो चुकी है, जो श्रद्धालुओं के लिए लोकार्पित कर दिए गए है। श्रद्धालुओं का आना-जाना और पूजा-पाठ भी शुरू हो गया है। शेष मंदिरों के निर्माण और देवी-देवताओं की प्रतिमाओं की स्थापना का शीघ्र ही तेज होने वाला है। शिवांश चैरिटेबल ट्रस्ट कर बराही धाम का विकास-दरअसल बराही धाम का विकास शिवांश चैरिटेबल ट्रस्ट द्वारा किया जा रहा है। इस ट्रस्ट के संस्थापक रंधीर कुमार सिंह है, जो बराही के ही निवासी है और दिल्ली के ग्रेटर नोएडा में बड़ा कारोबार है। उनके पहल पर ही यह ट्रस्ट बना है, जिसमें इलाके के समाजसेवी गण सदस्य एवं ट्रस्टी है। शिक्षा का मंदिर बनाने की भी ट्रस्ट की योजना-ट्रस्ट के संस्थापक रंधीर सिंह बताते है कि ट्रस्ट की योजना सिर्फ देवी-देवताओं की मूर्तियों की स्थापना और मंदिर का निर्माण करना ही नही है बल्कि शिक्षा का मंदिर बनाना भी है। 2030 तक यहां देवी-देवताओं की मूर्तियों की स्थापना और मंदिरों का ही निर्माण नही होगा बल्कि शिक्षा का मंदिर भी बनेगा।

यहां स्कूल, कॉलेज और मेडिकल कॉलेज खोले जाएंगे। अभी संस्कृत की शिक्षा के लिए शिवाश गुरूकुलम् चल रहा है, जिसमें बच्चों को प्रथमा, मध्यमा, उप शास्त्री और आचार्य की शिक्षा दी जा रही है। यह गुरुकुल संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय, काशी, उतर प्रदेश से संबद्ध है। साथ ही वाराणसी और बिहार के मुजफ्फरपुर में भी ट्रस्ट की ओर से संस्कृत गुरुकुल का संचालन किया जा रहा है। ऐसे हुई मंदिरों के निर्माण व देवी-देवताओं की प्रतिमाओं की स्थापना की परिकल्पना-ट्रस्ट के संस्थापक रंधीर सिंह ने बताया कि ब्रह्मलीन श्री श्री 1008 श्री त्रिदंडी स्वामी जी महाराज के परा सानिध्य में उनके एक अनन्य शिष्य द्वारा बराही में 2021 में श्रीलक्ष्मी नारायण यज्ञ किया जा रहा था। यज्ञ के दौरान ही स्वामी जी को अनुभूति हुई कि यहां मां अष्टभुजी की दिव्य और अलौकिक प्रतिमा दबी पड़ी है। इसके बाद खुदाई में दो सर्प और मां अष्टभुजी की प्रतिमा मिली। इसके बाद मां अष्टभुजी का भव्य मंदिर बना कर उनकी प्राण प्रतिष्ठा की गई है, जो बराही धाम में विद्यमान है। मां के मंदिर के निर्माण के बाद उन्हे स्वपन में मां ने उन्हे निर्देश दिया कि तुम सक्षम व्यक्ति हो। इस कारण तुम यहां 33 कोटि देवी-देवताओं की एक ही स्थान पर स्थापना करो ताकि मेरा स्थल अद्भुत तीर्थ बन सके। इसके बाद उन्होने जन सहयोग से इसकी परिकल्पना की है और ट्रस्ट के माध्यम से वें इसे साकार करने में लगे है। देश के 23 वें नवग्रह मंदिर का होगा निर्माण-ट्रस्ट के सचिव व पलामू जिला पंचायत के उपाध्यक्ष आलोक कुमार सिंह उर्फ टुड्डू सिंह ने बताया कि पूरे देश में अभी 22 नवग्रह मंदिर है और हर मंदिर एक ग्रह को समर्पित है, जहां लोग ग्रहों से शांति के लिए पूजा-अर्चना करने जाते है। इनमें अधिकांश तमिलनाडू में है। इसके अलावा मध्य प्रदेश और उतर प्रदेश में कुछ नवग्रह मंदिर है लेकिन बिहार-झारखंड में कही भी कोई नवग्रह मंदिर नही है। यहां देश के 23 वें और बिहार-झारखंड के इकलौते नवग्रह मंदिर की स्थापना की जाएगी। नवग्रह मंदिर और देवी मंदिर की आकृति का मॉडल तैयार हो चुका है और शीघ्र ही कार्य आरंभ किया जाएगा। उन्होने कहा कि सभी मंदिरों के निर्माण और देवी-देवताओं की मूर्तियों की प्राण प्रतिष्ठा के बाद बराही धाम भव्य धार्मिक तीर्थ स्थल बनेगा। इससे पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा और स्थानीय लोगों को प्रत्यक्ष तथा परोक्ष रूप से राजगार मिल सकेगा।

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