
मोरबी ब्रिज हादसे में अब तक 141 लोगों की मौत हो चुकी है…. इस मामले में स्थानीय कोर्ट में सुनवाई हुई… तो वही इस हादसे के मामले में गिरफ्तार 9 लोगों को स्थानीय कोर्ट में पेश किया गया… कोर्ट ने ओरेवा कंपनी के दो मैनेजर समेत चार लोगों को शनिवार तक की पुलिस कस्टडी में भेज दिया है… और 5 अन्य आरोपियों को न्यायिक हिरासत में भेजा गया है… कोर्ट में सुनवाई के दौरान ब्रिज हादसे को लेकर तमाम ऐसे खुलासे हुए जो चौंकाने वाले हैं… मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट एम जे खान की कोर्ट में सुनवाई के दौरान प्रॉसिक्यूशन पक्ष ने कोर्ट को बताया कि जिस कॉन्ट्रैक्टर ने ब्रिज की मरम्मत का ठेका लिया था, उसके पास कॉन्ट्रैक्ट लेने की भी योग्यता नहीं थी. इतना ही नहीं कोर्ट में फॉरेंसिंक टीम की रिपोर्ट का भी जिक्र किया गया. कोर्ट में बताया गया कि ब्रिज की मरम्मत के दौरान सिर्फ फ्लोर को चेंज किया गया… इस दौरान ब्रिज की केबल को चेंज नहीं किया गया… यह नए फ्लोर का वजन उठाने में भी सक्षम नहीं था…
एक्सपर्ट का मानना है कि नए फर्श के वजन की वजह से ब्रिज की केबल टूट गई… इतना ही नहीं कोर्ट को यह भी बताया गया कि रिपेयर करने वाले कॉन्ट्रैक्टर्स भी काम करने के लिए योग्य नहीं थे… इसके बावजूद कॉन्ट्रैक्टर्स को 2007 और फिर 2022 में रिपेयर का ठेका दिया गया… तो वहीं ओरेवा कंपनी के गिरफ्तार मैनेजर दीपक पारेख ने कोर्ट में सुनवाई के दौरान कहा कि ये भगवान की इच्छा थी इसलिए ये दुर्भाग्यपूर्ण हादसा था….