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राहुल गांधी की युवाओं की टीम बिखरी, जानें कैसे एक-एक कर हुए कांग्रेस …

राहुल गांधी की युवाओं की टीम बिखरी, जानें कैसे एक-एक कर हुए कांग्रेस ...

2014 में भाजपा के केंद्र में सरकार बनाने और देश की राजनीति में परिवारवाद का मुद्दा उठने के बाद एक-एक कर के इन युवा नेताओं ने राहुल से दूरी बना ली है। इनमें सबसे ताजा नाम महाराष्ट्र कांग्रेस के अहम चेहरे और युवा नेता मिलिंद देवड़ा का है।

एक दौर था जब राहुल गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस को युवाओं की पार्टी कहा जाता था। वजह थे राहुल के साथ जुड़े वे पांच नेता, जो उनकी टीम के अभिन्न अंग माने जाते थे और हर छोटे-बड़े फैसले में गांधी परिवार के साथ रहते थे। इनमें अधिकतर नेता अपने परिवार के कांग्रेस से जुड़ाव के कारण पार्टी में शामिल रहे और राहुल के करीबी बने। हालांकि, 2014 में भाजपा के केंद्र में सरकार बनाने और देश की राजनीति में परिवारवाद का मुद्दा उठने के बाद एक-एक कर के इन युवा नेताओं ने राहुल से दूरी बना ली है। इनमें सबसे ताजा नाम महाराष्ट्र कांग्रेस के अहम चेहरे और युवा नेता मिलिंद देवड़ा का है, जिन्होंने रविवार को पार्टी से परिवार का 55 साल पुराना नाता खत्म करने का एलान किया।

कुछ वर्ष पहले कांग्रेस के इन युवा रणबांकुरों की एक तस्वीर सोशल मीडिया पर काफी वायरल हुई थी। यह फोटो 2012 में राष्ट्रपति भवन में हुए एक कार्यक्रम की बताई गई है। इस फोटो में कांग्रेस के युवा चेहरों का जुटाव था। तस्वीर में सचिन पायलट, ज्योतिरादित्य सिंधिया, आरपीएन सिंह, मिलिंद देवड़ा और जितिन प्रसाद आपस में बात करते देखे जा सकते हैं। इन चेहरों को एक समय पर राहुल के साथ पार्टी का भविष्य करार दिया जा रहा था। हालांकि, ये चेहरे एक-एक कर के पार्टी से अलग हो चुके हैं।

1. सबसे पहले बाहर हुए ज्योतिरादित्य सिंधिया
साल 2020 में ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कांग्रेस से इस्तीफा देने का एलान किया था। बताया जाता है कि वे पार्टी में युवा चेहरों की अनदेखी से खासे नाराज थे। इससे पहले वे पीएम मनमोहन सिंह के नेतृत्व में केंद्र में मंत्री भी रहे। हालांकि, 2018 में मध्य प्रदेश में उनकी जगह कमलनाथ को मुख्यमंत्री बनाने का पार्टी का फैसला भी उन्हें रास नहीं आया था। इसके बाद उन्होंने 28 विधायकों के साथ कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया। इससे कमलनाथ की अगुवाई कांग्रेस सरकार रातोंरात गिर गई थी। सिंधिया बाद में भाजपा में शामिल हो गए और शिवराज सिंह चौहान फिर मध्य प्रदेश के सीएम बने।

2. जितिन प्रसाद ने छोड़ा कांग्रेस का साथ
उत्तर प्रदेश में बड़े ब्राह्मण चेहरा कहे जाने वाले जितिन प्रसाद ने जून 2021 में कांग्रेस छोड़ कर भाजपा जॉइन कर ली थी। उनका राजनीतिक करियर यूथ कांग्रेस से शुरू हुआ था और वे यूपीए सरकार में मंत्री भी रहे। सिंधिया की तरह ही जितिन प्रसाद भी पारिवारिक तौर पर कांग्रेस से जुड़े थे। उनके पिता जितेंद्र प्रसाद और बाबा ज्योति प्रसाद कांग्रेस का अहम चेहरा रहे थे। हालांकि, इस्तीफे से ठीक पहले जितिन प्रसाद को पार्टी हाईकमान से नाराज बताया जा रहा था। वह कांग्रेस में तवज्जो न मिलने और यूपी कांग्रेस के कुछ नेताओं से अपनी नाराजगी जाहिर भी कर चुके थे। जितिन प्रसाद की शिकायत को पार्टी हाईकमान ने नजरअंदाज किया, जिसके बाद उन्होंने भाजपा का दामन थाम लिया।

3. फिर गिरा आरपीएन सिंह का विकेट
कांग्रेस से युवा चेहरों के जाने का सिलसिला जारी रहा। अगला नाम था आरपीएन सिंह का, जिन्होंने 2022 में यूपी विधानसभा चुनाव से ठीक पहले पार्टी को झटका दे दिया और सिंधिया की मौजूदगी में भाजपा का दामन थाम लिया था। मजेदार बात यह थी कि आरपीएन सिंह ने यह इस्तीफा तब दिया था, जब कांग्रेस ने उनकी क्षमताओं पर भरोसा करते हुए यूपी में उन्हें अपना स्टार प्रचारक नियुक्त किया था। आरपीएन सिंह मनमोहन सरकार में आरपीएन सिंह ने पेट्रोलियम मंत्रालय से लेकर गृह मंत्रालय में राज्यमंत्री की भूमिका संभाली थी।

4. और अब मिलिंद देवड़ा…
वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री मिलिंद देवड़ा ने कांग्रेस की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है। सोशल मीडिया पर एक पोस्ट साझा कर मिलिंद देवड़ा ने लिखा कि ‘आज वह अपनी राजनीतिक यात्रा के अहम अध्याय का अंत कर रहे हैं। मैंने कांग्रेस की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है, साथ ही कांग्रेस पार्टी से अपने परिवार के 55 साल पुराने रिश्ते का भी अंत कर रहा हूं।मिलिंद देवड़ा कांग्रेस के दिवंगत वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री मुरली देवड़ा के बेटे हैं और साल 2004 और 2009 में दक्षिण मुंबई सीट से सांसद रह चुके हैं। साल 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव में मिलिंद देवड़ा को शिवसेना उम्मीदवार के सामने हार का सामना करना पड़ा था। मिलिंद देवड़ा की गिनती कांग्रेस के युवा चेहरों में होती थी। वह कांग्रेस सरकार में साल 2012 में केंद्रीय नौका परिवहन राज्यमंत्री भी बनाए गए थे। इसके अलावा वह सांसद रहने के दौरान रक्षा मंत्रालय की समिति, केंद्रीय शहरी विकास  समिति के सदस्य भी रह चुके हैं।

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