
गुजरात के 1985 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने एक ऐसा इतिहास रचा था, जिसे आज तक कोई तोड़ नहीं पाया… माधव सिंह सोलंकी के नेतृत्व में चुनाव लड़ते हुए कांग्रेस ने कुल 182 सीटों वाली विधानसभा में 149 सीटों पर सफलता हासिल की थी… कोई दूसरा दल अब तक इस आंकड़े के आसपास भी नहीं पहुंचा… अगर सब कुछ ठीकठाक रहा तो प्रधानमंत्री मोदी की अगुवाई में भाजपा इस बार यह रिकॉर्ड तोड़ सकती है… इस जीत में सबसे बड़ी भूमिका अरविंद केजरीवाल ही निभा सकते हैं, जिन्हें गुजरात में इस समय भाजपा का सबसे बड़ा प्रतिद्वंदी माना जाता है…राजनीतिक विशेषज्ञों का कहना है कि गुजरात विधानसभा चुनाव में उत्तराखंड और गोवा जैसी परिस्थितियां बन सकती हैं… यदि आप मजबूत हुई तो इसका सीधा लाभ भाजपा को होगा…
दरअसल, इसी साल की फरवरी में संपन्न हुए उत्तराखंड और गोवा विधानसभा चुनाव परिणाम के आंकड़े बताते हैं कि इन राज्यों में भाजपा को लगभग उतने ही प्रतिशत वोटों के अंतर से जीत मिली, जितनी कि अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी ने हासिल की… वहीं दूसरी तरफ राजनितिक विशेषज्ञों का कहना है कि आम आदमी पार्टी इन चुनावी मैदान में न होती, तो ये वोट कांग्रेस को जाते और वह इन राज्यों में सरकार बना सकती थी…
अगर बात करें गुजरात की, कि वहां क्या स्थिति है तो गुजरात विधानसभा चुनाव में भी उत्तराखंड और गोवा जैसी परिस्थितियां बनती दिखाई पड़ रही हैं… यदि यहां आम आदमी पार्टी मजबूत हुई और उसने कांग्रेस के पांच से सात फीसदी वोट काटने में भी सफलता हासिल कर ली, तो वोटों के इस विभाजन का सीधा लाभ बीजेपी को ही होगा और वह बड़ी जीत हासिल करने में कामयाब हो सकती है…जबकि भाजपा ने अपने कोर वोटरों पर अभी भी पकड़ बरकरार रखी है…
भाजपा ने 2017 के विधानसभा चुनाव में लगभग दो दर्जन से ज्यादा सीटें 10 हजार से कम मतों के अंतर से जीती थीं… जिन 83 सीटों पर भाजपा उम्मीदवारों को हार का सामना करना पड़ा था, उनमें 30 से अधिक सीटों पर भाजपा उम्मीदवारों की हार का अंतर दो हजार से 10 हजार वोटों का ही रहा था… इनमें सौराष्ट्र और दक्षिण गुजरात की सीटें सबसे ज्यादा हैं…यदि इन सीटों पर गैर-भाजपाई वोटरों में विभाजन होता है, तो इसका लाभ भी भाजपा को होगा और जीत की राह आसान होगी…