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एक ऐसा बैंक, जहां रुपये नहीं, जमा होती ‘राम नाम की पूंजी’… बाकायदा पासबुक में होती है एंट्री…

एक ऐसा बैंक, जहां रुपये नहीं, जमा होती ‘राम नाम की पूंजी’... बाकायदा पासबुक में होती है एंट्री...

23 साल से कानपुर के घाटमपुर के कूष्मांडा देवी मंदिर में सीता-राम नाम बैंक चल रहा है। इस बैंक में रुपये नहीं, ‘राम नाम की पूंजी’ जमा होती है। खाता खुलवाने के बाद मिलने वाली कॉपी में राम या सीता का नाम लिखकर ग्राहक जमा करते हैं। बाकायदा पासबुक में एंट्री होती है। अब तक 55 करोड़ से ज्यादा राम-नाम संग्रहीत हो चुके हैं।

 

कानपुर के घाटमपुर के कूष्मांडा देवी मंदिर में एक ऐसा भी बैंक है, जहां रुपये नहीं राम नाम की पूंजी जमा होती है। सीता-राम नाम का बैंक पिछले 23 सालों से यहां चल रहा है। रामभक्त अपना खाता खुलवाने के बाद यहां से मिलने वाली कॉपी में राम या सीता का नाम लिखकर जमा करते हैं। इसकी बाकायदा पासबुक में एंट्री की जाती है।

बैंक में अब तक 55 करोड़ से ज्यादा सीता-राम नाम संग्रहीत हो चुके हैं। बैंक में स्थायी बैंक खाता खोलने के साथ ही खाता नंबर जारी करके पासबुक देने की व्यवस्था है। साथ में एक कॉपी और लाल पेन भी दिया जाता है। एक कॉपी में 21,888 बार राम का नाम लिखा जाता है। इस कॉपी को जमा करने और पासबुक में एंट्री कराने के बाद दूसरी कॉपी जारी करा सकते हैं। बैंक की ओर से राम नाम अंकित कॉपियों को अयोध्या भिजवाया जाता है।

 

वर्ष 2000 में खुली बैंक, अब तक 1200 खाताधारक
कानपुर के बिरहाना रोड निवासी शाखा व्यवस्थापक रामजी ओमर बताते हैं कि वर्ष 2000 में घाटमपुर के मां कूष्मांडा देवी मंदिर परिसर में अंतरराष्ट्रीय सीता-राम नाम बैंक की स्थापना हुई थी। इसके लिए उनके गुरु और बैंक संस्थापक स्वमी नृत्यगोपालदास से प्रेरणा मिली थी।

बैंक में अब तक 1200 खाता खुल चुके हैं
हनुमान मंदिर के एक कमरे में चल रहे इस बैंक में अब तक 1200 खाता खुल चुके हैं। वर्तमान में 250 स्थायी खाता धारक हैं। स्थायी खाताधारक तब बनते हैं, जब वे सवा लाख बार राम-सीता का नाम लिखकर कॉपी जमा कर देते हैं। बैंक में लगातार खाताधारकों की संख्या बढ़ रही है।

राम नाम से मिलता है अनंत सुख : रामजी ओमर
रामजी ओमर बताते हैं कि राम की भक्ति में डूबे भक्तों को राम नाम के स्मरण, श्रवण, दर्शन और लेखन में अनंत सुख मिलता है। बैंक में स्थानीय के अलावा बुंदेलखंड के लोग आते हैं। खाताधारक को एक बार में निशुल्क पांच पुस्तिकाएं दी जाती हैं। इसे जमा करने के बाद पासबुक में राम नाम की संख्या दर्ज करके नई कॉपी उपलब्ध करा दी जाती है। बैंक की ओर से अब तक एक लाख काॅपी वितरित की जा चुकी हैं। अभी बैंक में करीब पांच सौ पुस्तिकाएं संग्रहीत हैं।

रामलला की प्राण प्रतिष्ठा अयोध्या को देगी अपार यश
अयोध्या में भगवान श्रीराम की प्राण प्रतिष्ठा मेष लग्न मुहूर्त में होगी। सूर्य उत्तरायण होंगे, सूर्य का गोल दक्षिण होगा। मृगसिरा का द्वितीय चरण होगा, चंद्रमा वृष राशि में होगा। सूर्य अपने ही नक्षत्र उत्तराषाढ़ा में 07 अंश का, चंद्रमा मंगल के नक्षत्र मृगसिरा में 27 अंश का, मंगल शुक्र के नक्षत्र पूर्वाषाढ़ा में 19 अंश का धनु में, धनु में ही बुध पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र में 15 अंश का, धनु में ही शुक्र केतु के नक्षत्र में 04 अंश का, शनि राहु के नक्षत्र शतभिषा में 11 अंश का और गुरु केतु के नक्षत्र अश्वनी में 12 अंश का, राहु मीन में बुध में नक्षत्र रेवती में 24 अंश का है।

केए दुबे पद्मेश ने निर्माण कार्य के लिए बताया उत्तम योग
लग्न में गुरु मंगल की राशि में और मंगल गुरु की राशि धनु में भाग्य भाव में है जो मुहूर्त के लिए और निर्माण कार्य के लिए उत्तम योग बना रहा है। जिसमें अयोध्या का अपार यश संपूर्ण विश्व में फैलेगा। यह जानकारी पद्मेश इंस्टीट्यूट ऑफ वैदिक साइंसेज के संस्थापक अध्यक्ष केए दुबे पद्मेश ने दी। उन्होंने बताया कि चंद्रमा उच्च राशि में है जिस कारण से अपार यश मिलेगा। संपूर्ण सृष्टि गुणदोषमयी है और गुण अधिक हो और दोष कम हो तो मुहूर्त को शुभ माना जाता है। चर लग्न मेष है, गुरु से युक्त है जिस कारण से देव प्रतिष्ठा के लिए उत्तम है।

सर्वार्ध सिद्धि योग सुबह छह बजकर 48 मिनट से रात के चार बजकर 59 मिनट तक रहेगा
वशिष्ठ संहिता अध्याय 40 और श्लोक 20 में कहा गया है यदि गुरु शुक्र और बुध में कोई भी लग्न में मजबूत हो तो वह अन्य दोषों को समाप्त कर देता है। 22 जनवरी 2024 को सर्वार्ध सिद्धि योग सुबह छह बजकर 48 मिनट से रात के चार बजकर 59 मिनट तक रहेगा। अमृत सिद्धि योग भी इसी कालखंड में रहेगा। मुहूर्त के समय अभिजित मुहूर्त इसी कालखंड में होता है। वह दिन का आठवां मुहूर्त है और उस कालखंड में जब पूजन होता है, तो अनेक दोषों को समाप्त करता है। लग्नेश मंगल जोकि भाग्य भाव में है 23 अगस्त 2028 तक अपनी ही दशा में रहेगा। यह कालखंड निर्माण के लिए उत्तम है।
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