
मुगल रानियों का वाटर पार्क बनता था महरौली मानसून में पिकनिक के लिए मशहूर थे ये स्थान
बात 1950 और 1960 के दौर की हो रही है। उन दिनों दिल्ली में मानसून मतलब
पिकनिक हुआ करता था। गर्मी से परेशान लोग पहली बारिश से ही घरों से चींटियों
की मानिंद निकलते थे।
इतिहासकार सोहेल हाशमी याद करते हुए बताते हैं कि दिल्ली का
अंधेरिया मोड़ जो अब छतरपुर मेट्रो स्टेशन कहलाता है।
यहां पर बहुत से आम के बाग थे। बीसवीं सदी के साठ के शुरुआती दौर में मानसून में लोग
यहां दिन भर पिकनिक मनाने आते थे।
माली से अपनी पसंद के आम तोडऩे को कहते थे और माली तोड़ दिया करता था।
मानसून में दूसरा पिकनिक स्पाट था हौज खास और तीसरा कुतुब मीनार।
यहां लोग अंदर खाने पीने का सामान ले जाते थे। तब यहां पर इतने सैलानी
नहीं होते थे तो परिसर खाली रहता था।
मानसूनी स्मृतियों में एक और सैर सपाटा स्थल होता था।
जिसे ओखला कहा जाता है। यहां पर यमुना पर बैराज है
जिसे आगरा कैनाल कहते हैं।
दिल्ली गेट से निकलते ही कोटला फिरोजशाह भी पिकनिक स्पाट था।
आसपास के लोग भोजन और दरियां लेकर पैदल चले आते थे।
सोहेल बताते हैं कि वे लोदी स्टेट में रहते थे। ऐसे में खान मार्केट
और दयाल सिंह कालेज को जाने वाली सड़क पर बरसात में गिल्ली-डंडा खेला करते थे।