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आखिर क्यों इस शिव मंदिर से किया भक्तों ने किनारा ?

– 300 वर्ष पुराने रामेश्वर महादेव मन्दिर में भक्तों का जाना हुआ कम
– नेताओं और क्षेत्रीय पार्षद ने भी मन्दिर की बदहाल स्थिति को अंदेखा किया

श्रावण मास में पूरी दुनिया में शिव की आराधना हो रही है, लेकिन कानपुर के पुराना कानपुर स्थित 300 साल पुराने रामेश्वर महादेव मंदिर से भक्तों ने किनारा कर लिया है। वजह यह है कि मंदिर के आसपास नाले का गंदा पानी भर रहा है। एक वक्त था जब गंगा भी यहां शिव के चरणों को प्रणाम करने के लिए मंदिर के द्वार तक आती थी। लेकिन अब मंदिर के दोनों ओर नाले बहते हैं। गंदगी और बदबू ने रहना दूभर कर दिया है।

मंदिर के महंत केशव गिरी के मुताबिक यह मंदिर 300 साल पुराना है। नाले की गंदगी और बदबू की वजह से यहां अब भक्तों ने आना ही छोड़ दिया है। बीते 60 सालों से महंत केशव गिरी इस मंदिर में पूजा-अर्चना करते आ रहे हैं। जूना अखाड़ा ने उन्हें यहां की जिम्मेदारी सौंपी है। महंत बताते हैं कि पहले यहां भक्तों का बड़ा जमावड़ा लगता था। शहर में स्थित आनंदेश्चर मंदिर, खेरेश्वर मंदिर, सिद्धनाथ मंदिर की तरह ही यहां भी 24 घंटे भक्तों की भीड़ रहती थी। हालांकि, बगल में स्थित परमिया नाला इस कदर बहता है कि अब यहां भक्त आते ही नहीं हैं।

आपको बताते चलें कि, नमामि गंगे प्रोजेक्ट के तहत करोड़ो रुपए से परमिया नाला समेत अन्य नालों को टैप किया जा चुका है। पीएम नरेंद्र मोदी ने 2019 में अटल घाट के इनॉग्रेशन के साथ ही बोट के जरिए यहां गंगा तट का निरीक्षण किया था। पीएम के जाने के बाद लगातार ये नाला गंगा में सीसामऊ नाले की तरह गिर रहा है। मानसून में यहां का और भी बुरा हाल हो जाता है। गंगा में जलस्तर बढ़ने के साथ ही नाले बैक मारने लगते हैं। इससे मंदिर के आगे खाली पड़ी जमीन में नाले का पानी उफनाने लगता है।

महंत बताते हैं कि भगवान शिव यहाँ स्वयं प्रकट हुए थे। मूल शिवलिंग को देखें तो ये खुद जमीन से निकला हुआ है, जिसे हम स्वयंभू कहते हैं। इसे दशकों पहले तोड़ने का प्रयास भी किया गया। हालांकि, शिवलिंग जस का तस बना हुआ है। यूं तो हर शिव मंदिर में सावन सोमवार भव्य तरीके से मनाया जाता है। रामेश्वर घाट मंदिर में सावन को आखिरी शनिवार भव्य तरीके से मनाया जाता है। यहां हर साल आयोजन तो होता है, लेकिन कुछ स्थानीय लोगों के अलावा कोई नहीं आता है। नालों की वजह से मंदिर के वैभव में ग्रहण लग गया है।

आपको बता दें कि, मन्दिर तक पहुँचने की सड़क भी जर्जर है। हालांकि इस मंदिर का एक मामला कोर्ट में भी विचाराधीन है। महंत के मुताबिक यहाँ गंदगी इस कदर है कि, यहाँ पर अब भक्त अब नाममात्र ही आते हैं। महन्त जी ने बताया कि, इस मंदिर के सुंदरीकरण के लिए तमाम नेताओं से कहा है, लेकिन अभी तक किसी भी नेता ने इस मंदिर की तरफ नही देखा। उन्होंने बताया कि, बीते 5 दिनों से वह वार्ड 13 पुराना कानपुर के नवनिर्वाचित पार्षद वीरेंद्र सिंह निषाद को भी गंदगी के लिए फोन कर रहे हैं, लेकिन उन्होंने भी सिर्फ आश्वासन दिया है।

उन्होंने कहा कि अभी तक पार्षद जी भी मन्दिर की बदहाल व्यवस्था देखने नही आए हैं। इसके साथ ही मंदिर परिसर के में कुछ अराजक तत्वों ने कब्जा भी कर लिया है और यहाँ पर सूनसान होने के कारण अनैतिक कार्य भी होते है। अब देखने वाली बात होगी कि, किस तरह से इस मंदिर का सुंदरीकरण होता है।

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