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छह माह के भीतर पांच हजार से अधिक कंपनियों पर लगा ताला, जानिए क्या है कंपनी बंद होने की वजह

छह माह के भीतर पांच हजार से अधिक कंपनियों पर लगा ताला, जानिए क्या है कंपनी बंद होने की वजह

गौतमबुद्धनगर जिले में छह माह के भीतर पांच हजार से अधिक कंपनियों पर ताला लगा है। ज्यादातर कंपनियां निचली श्रेणी की हैं। हालांकि इन कंपनियों के बंद होने का जनपद में हो रहे निवेश से कोई सीधा कनेक्शन नहीं है।

जिले में बढ़ते आर्थिक निवेश के बीच यह खबर चौंकाने वाली है। यहां पिछले छह माह के भीतर पांच हजार से अधिक कंपनियों पर विभिन्न कारणों से ताला लग गया। कर्मचारी भविष्य निधि संगठन से मिले आंकड़े इस बात की पुष्टि करते हैं, हालांकि विभाग का दावा है कि बंद होने वाली ज्यादातर कंपनियां निचली श्रेणी की हैं और इनके बंद होने का जिले में हो रहे निवेश से कोई सीधा रिश्ता नहीं है।

साथ ही जिले की कंपनियों में कर्मचारी 9.66 लाख से बढ़कर 12.88 लाख हो गए हैं। जिले में भारी निवेश के लिए व्यापक स्तर पर प्रयास किए जा रहे हैं। सरकार की ओर से तीनों प्राधिकरणों में कुल मिलाकर तीन लाख करोड़ के निवेश का लक्ष्य रखा गया था। दावा है कि इस लक्ष्य को हासिल कर लिया गया है।

विभिन्न कंपनियों के साथ कुल मिलाकर अब तक तीन लाख करोड़ से ज्यादा के एमओयू साइन किए जा चुके हैं। इसके विपरीत भविष्य निधि विभाग के आंकड़े के मुताबिक जून 2023 तक जिले में जहां 31093 कंपनियां पंजीकृत थीं, वहीं अब यह संख्या घटकर 25700 रह गई है।

जानकार भी इतनी बड़ी संख्या में कंपनियों के बंद होने पर आश्चर्य जता रहे हैं। माना जा रहा है कि जो कंपनियां बंद हुई हैं, वह स्टार्टअप हैं, जो ज्यादा समय तक टिक नहीं पाईं। इंस्टीट्यूट्स ऑफ चार्टेड अकाउंटेंट ऑफ इंडिया (नोएडा) के चेयरमैन चमन सिंह भड़ाना बताते हैं कि जीएसटी विभाग के साथ लगातार लापरवाही दिखाने के कारण कई कंपनियों पर गाज गिरती है।

कई अनुबंधित कंपनियां ऐसी भी हैं जो अपने काम पूरा होने से पहले ही बंद हो जाती हैं। कारण समय से जीएसटी ना भर पाना और नियमों का पालन ना कर पाना है। वहीं कर्मचारी भविष्य निधि संगठन के असिस्टेंट कमिश्नर रविंद्र कुमार बताते हैं बंद हुई कंपनियों में ज्यादातर कॉन्ट्रेक्ट बेस्ड कंपनियां हैं।

इनके ठेकेदारों द्वारा इन्हें काम पूरा होने के बाद बंद किया है। इसके अलावा काफी समय से समय से पीएफ जमा न कराने वाली कंपनियां भी इसमें शामिल हैं। साथ ही कई तरह के नियमों का उल्लंघन करने पर भी कई कंपनियों पर कार्रवाई करते हुए उन्हें बंद किया गया है।

जो कंपनी ज्यादा समय तक चलती है, उसका डाटा विभाग के पास काफी समय तक रहता है। वहीं जो कंपनियां बंद हो जाती हैं, उसे विभाग के डाटा से निकाल दिया जाता है। इसके अलावा नए कर्मचारियों की संख्या में इजाफा हुआ है। छह माह के दौरान विभाग में कर्मचारियों के पंजीकरण में वृद्धि हो रही है। बीते एक वर्ष में कुल 3.22 लाख नए कर्मचारी पंजीकृत हुए हैं। इसके बाद संख्या बढ़कर 12.88 लाख हो गई है।

पैसा जमा कराने का यह है नियम
ईपीएफओ के नियम के मुताबिक, 20 से अधिक कर्मचारी होने पर उस कंपनी को खुद को पीएफ विभाग में पंजीकृत कराना होता है। सिनेमा थियेटर्स जैसी संस्थाओं के लिए सिर्फ 5 कर्मचारी होने पर भी रजिस्ट्रेशन करवाना अनिवार्य है। नियोक्ता और कर्मचारी की ओर से पीएफ खाते में हर महीने बेसिक सैलरी और डीए का 12-12 परसेंट पैसा जमा कराया जाएगा। नियोक्ता की 12 परसेंट हिस्सेदारी में 8.33 परसेंट एंप्लाई पेंशन स्कीम में जमा होता है और बाकी का 3.67 परसेंट पीएफ खाते में जाता है। पिछले महीने की सैलरी जारी होने के 15 दिनों के भीतर कंपनी को पीएफ खाते में पैसा जमा कराना जरूरी है।

क्या है कंपनियों के बंद होने की वजह
नियमित रूप से जीएसटी ना भर पाना
जीएसटी की जांच में खामी पाए जाने पर दंडित किया जाना
कोरोना काल के बाद नए स्टार्टअप टिक नहीं पाए
कॉंट्रेक्ट बेस्ड कंपनियों का समय पूरा होते ही बंद होना
पीएफ नियम उल्लंघन करने पर कार्रवाई

इन कंपनियों के बंद होने की वजह कई हैं। इनमें अधिकतर अनुबंधित कंपनियां भी शामिल हैं, जो काम पूरा होने के बाद बंद हो गईं। वहीं कई कंपनियों को दंडित भी किया गया है। – रविंद्र कुमार, असिस्टेंट कमिश्नर, कर्मचारी भविष्य निधि संगठन

छोटी कंपनियां किराये पर सेटअप बनाती हैं। लागत से कम काम मिलने पर वह कहीं और जाकर शिफ्ट हो जाती हैं। कोरोना के बाद यह अधिक देखने को मिला है कि कई कंपनियां ज्यादा समय तक नहीं टिक पा रही हैं। – विपिन मलहन, नोएडा उद्यमी संगठन 

कोरोना काल के बाद आर्थिक तंगी से उभरने के लिए कई कंपनियां नई खुलीं, लेकिन जीएसटी विभाग के सख्त रवैये के चलते ज्यादातर कंपनियां अधिक दिनों तक नहीं टिक पाईं।  – चमन सिंह, चेयरमैन, इंस्टीट्यूट्स ऑफ चार्टेड अकाउंटेंट ऑफ इंडिया, नोएडा

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