नमामि गंगे प्रोजेक्ट अपने आंसू बहाने पर मजबूर ज्योति बाबा
नमामि गंगे प्रोजेक्ट अपने आंसू बहाने पर मजबूर ज्योति बाबा

कानपुर:नमामि गंगे प्रोजेक्ट अपने आंसू बहाने पर मजबूर ज्योति बाबा। नमामि गंगे प्रोजेक्ट के अंतर्गत गंगा प्रदूषण मुक्ति के लिए गंभीर प्रयास किए गए।लेकिन घाटों पर बने विद्युत शवदाह गृह अगले 50 सालों की जरूरत की संख्या के आधार पर नहीं बने।परिणामस्वरूप कोरोना महामारी काल में पहले से प्रदूषित गंगा पर अतिरिक्त बोझ आ जाने से गंगा प्रदूषण मुक्ति का संकल्प तार-तार हो रहा है। हम जितना आगे बढ़े थे उससे कई गुना पीछे हो गए हैं।उपरोक्त बात सोसाइटी योग ज्योति इंडिया के तत्वाधान में उत्तर प्रदेश वैश्य व्यापारी महासभा के सहयोग से नशा हटाओ प्रदूषण मिटाओ ।
सदस्य प्रधान मंत्री आदर्श ग्राम योजना प्रदेश सलाहकार शासन समिति रविशंकर हवेलकर ने कहा कि मां गंगा के शुद्धिकरण के लिए अगले 50 सालों के हिसाब से नीति नियंता योजना बनाकर काम करें,तभी हम मां गंगा का निर्मल रूप देख पाएंगे। वरना अपने बच्चों को किताबों और वर्चुअल वर्ल्ड के माध्यम से ही बताना पड़ेगा कि कभी भारत में ऐसे महान पवित्र नदी गंगा भी थी।जैसे सरस्वती विलोप हो गई वैसा ही ना हो।इसलिए सभी मिलकर मां गंगा को प्रदूषण मुक्त बनाएं ।ई संगोष्ठी का संचालन गणेश गुप्ता प्रदेश महामंत्री व धन्यवाद प्रदेश महामंत्री संगठन अनूप अग्रवाल ने दिया।अन्य प्रमुख डॉक्टर आर पी भसीन,सत्य प्रकाश गुलहरे,रोहित कुमार,गीता पाल,सुभाष अग्रवाल,इंजीनियर जगमोहन गुप्ता,बीना अग्रवाल इत्यादि थे।


