1991 का प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट पर आज अगली सुनवाई
1991 का प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट सभी धार्मिक स्थलों की स्थिति 15 अगस्त 1947 वाली बनाए रखने की बात कहता है...

प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर 14 नवंबर यानि आज अगली सुनवाई होगी… सुप्रीम कोर्ट उस दिन सुनवाई की समय सीमा तय कर सकता है… 12 अक्टूबर को कोर्ट ने सॉलिसिटर जनरल को 31 अक्टूबर तक हलफनामा दाखिल करने को कहा है… इसके बाद याचिकाकर्ता और जमीयत उलेमा ए हिंद, इस पर एक हफ्ते में जवाब दाखिल करेंगे… 1991 का प्लेसेस ऑफ वर्शिप सभी धार्मिक स्थलों की स्थिति 15 अगस्त 1947 वाली बनाए रखने की बात कहता है…
याचिकाकर्ता का कहना है कि ये हिंदू, सिख, बौद्ध और जैन समुदाय के खिलाफ है… इसके रहते वह उन पवित्र स्थलों पर दावा नहीं कर सकते, जिनकी जगह पर विदेशी आक्रमणकारियों ने जबरन मस्जिद बना दी थी… सुप्रीम कोर्ट ने 12 मार्च 2021 को केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर इस मामले में स्पष्टीकरण देने की मांग की थी, लेकिन करीब डेढ़ साल में सरकार की तरफ से कोर्ट में जवाब दाखिल नहीं किया जा सका…
प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट 1991 के मुताबिक, 15 अगस्त 1947 को धार्मिक स्थलों की स्थिति जैसी थी, उन्हें वैसा ही रखा जाना चाहिए… अयोध्या के राम मंदिर के मामले को इससे अलग रखा गया… अयोध्या का मामला आजादी के पहले से अदालत में चल रहा था, इसलिए उसे इसमें छूट दी गई थी. कानून का पालन न करने वालों के लिए सजा का प्रावधान किया गया… सजा या जुर्माना मामले के हिसाब से तय किए जाएंगे… 1991 में कांग्रेस की पीवी नरसिम्हा सरकार के दौरान ये कानून अस्तित्व में आया… देश में साम्प्रदायिक तनाव को दूर करना इस कानून का मकसद है…